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आबकारी विभाग की लूट, शराब दुकान से एक करोड़ का माल समेटा

Update: 2019-02-10 13:17 GMT

ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि

प्रदेश में सरकार बदलते ही शहर का आबकारी विभाग लूट पर उतारू है। विभाग के निरीक्षकों ने एक निजी शराब ठेकेदार के आदमी ले जाकर पुरानी छावनी क्षेत्र की शराब दुकान का माल समेटकर गाडिय़ों में भरवा लिया और दुकान पर ताले डलवा दिए। यह कार्रवाई पांच रोज पहले की गई, किंतु विभाग में इस दुकान को बंद कराने की कार्रवाई के कोई दस्तावेज नहीं है। मजेदार बात यह है कि कार्रवाई में क्षेत्र के निरीक्षक को भी साथ नहीं लिया गया, बल्कि कार्यालय में पदस्थ दो अन्य निरीक्षक इस कार्रवाई को अंजाम दे आए। जबकि किसी शराब दुकान को बंद करने की अनुमति जिलाधीश द्वारा दी जाती है। इस तरह पुरानी छावनी क्षेत्र की देसी एवं विदेशी शराब दुकान पिछले 5 दिन से बंद है।

जानकारी के मुताबिक वित्तीय वर्ष समाप्त होने के पूर्व शहर की कुछ शराब दुकानों पर लाइसेंस फीस बकाया है। वैसे कहने को शहर में ऐसी आठ दुकानें हैं जिन्होनें फीस जमा नहीं की है। इनमें एक नाम पुरानी छावनी की अंग्रेजी और देसी शराब दुकान का भी है।इसपर तकरीबन 75 लाख रुपए बकाया है। इसके लिए विभाग ने 1 फरवरी को नोटिस जारी किया तो साथ में दो लोडिंग वाहन भी थे। इसके बाद 4 फरवरी को निरीक्षक मनीष त्रिवेदी व तीर्थराज भारद्वाज एक अन्य निजी शराब ठेकेदार के आदमियों के साथ पुरानी छावनी पहुंचे और तीन- चार लोडिंग वाहनों में दुकान में रखी शराब की पेटियां रखवाना शुरू कर दी।इस तरह दुकान का माल लोडिंग में भरकर ले जाया गया।यह दुकान शैंकी गुप्ता के नाम से है। आबकारी विभाग के अधिकारियों ने उसे इतना डरा धमका दिया है कि वह शहर से गायब हो गया है।

वहीं आबकारी विभाग के निरीक्षक मनीष द्विवेदी का कहना है कि हमने कोई दुकान खाली नहीं कराई, आपके पास कोई वीडियो या फोटो हो तो बताएं? यह कहने पर कि हां हमारे पास दुकान खाली कराए जाने की वीडियो रिकॉर्डिंग है। इसके बाद द्विवेदी का पुन: फोन आया और बोले कि हां हम गए थे, क्योंकि उस क्षेत्र का निरीक्षक काम नहीं करता। हमें सहायक आबकारी आयुक्त ने भेजा था,जब उनसे पूछा गया कि दुकान से उठाईं गई शराब की पेटियां कहां है तो वे कोई जवाब नहीं दे सके। इसके बाद जब पुरानी छावनी क्षेत्र के निरीक्षक सुरेंद्र सिंह राठौर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मनीष द्विवेदी गलत बोलते हैं, ऐसा हो सकता है कि हम काम नहीं करते हो। उधर जब द्विवेदी और राठौर के कार्य की प्रगति रिपोर्ट देखी गई तो विभागीय प्रतिवेदन में पाया गया कि द्विवेदी की अपेक्षा राठौर ने पांच गुना अधिक कार्य किया है। जब इस मामले में सहायक आबकारी आयुक्त संदीप शर्मा से बात करना चाही तो उन्होंने मोबाइल रिसीव नहीं किया। 

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