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भाजपा: चालीस वर्ष में चला कारवां बना वटवृक्ष

Update: 2021-04-06 01:15 GMT

ग्वालियर/नवीन सविता। भारतीय जनता पार्टी की स्थापना वर्ष 1980 में कांग्रेस के कुशासन के अंत के लिए की गई थी। जिसके पहले अध्यक्ष पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी बने। यद्यपि वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मात्र दो ही सीटें प्राप्त हुईं किंतु इस दौरान जो मत प्रतिशत उसे प्राप्त हुआ व नवोदित पार्टी के लिए काफी था। कम मत मिलने का बड़ा कारण 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के कारण उनके बेटे राजीव गांधी को सहानुभूति की लहर थी। इसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन ने पार्टी को ताकत दी। कुछ राज्यों में चुनाव जीतते हुए और राष्ट्रीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हुए 1996 में पार्टी भारतीय संसद में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। इसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया, जो 13 दिन चली। 1998 में आम चुनावों के बाद भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का निर्माण हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी जो एक वर्ष तक चली। इसके बाद आम-चुनावों में राजग को पुन: पूर्ण बहुमत मिला और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार ने अपना कार्यकाल पूर्ण किया।

इस प्रकार पूर्ण कार्यकाल करने वाली पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी। 2004 के आम चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और अगले 10 वर्षों तक भाजपा ने संसद में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई। 2014 के आम चुनावों में राजग को गुजरात के लम्बे समय से चले आ रहे मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारी जीत मिली और 2014 में सरकार बनाई। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सारे इतिहास तोड़ते हुए 303 सीटें जीतकर रिकार्ड दर्ज किया, जिससे विपक्षी दल पूरी तरह हताशाही हो गए। आज कोरोना काल में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश विकास एवं आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। भाजपा की स्थापना के केन्द्र बिंदु में ग्वालियर की भूमिका को भी कम नहीं आका जा सकता। ग्वालियर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने पार्टी एवं संगठन को गढऩे में अहम भूमिका निभाई।

संगठन पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित कई बड़े नेताओं का पड़ाव ग्वालियर में हुआ करता था। यहां कृष्णकृपा भवन में रणनीति के साथ कार्यकर्ताओं को गढऩे का कार्य होता था। जिसमें पूर्व सांसद नारायणकृष्ण शेजवलकर भी मुख्य किरदार हुआ करते थे। आज का पार्टी वटवृक्ष रूप जो दिखाई दे रहा है उसमें ग्वालियर के नेताओं का भी बड़ा योगदान रहा। आज इस कार्य को केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर भी बखूबी आगे बढ़ा रहे हैं। श्री तोमर देश के पांच शीर्ष नेताओं में गिने जाते हैं।

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