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जन्माष्टमी की तैयारियां : करोड़ों रुपये के आभूषणों से मनोहारी रूप में दिखाई देंगे श्रीराधाकृष्ण

गोपाल मंदिर पर जन्माष्टमी महोत्सव 03 सितंबर को, दोपहर 12 बजे के बाद आमजनों के लिए खोले जाएंगे मंदिर के पट

Update: 2018-08-31 12:02 GMT
File Photo

ग्वालियर। ग्वालियर के फूलबाग परिक्षेत्र में स्थित रियासतकालीन गोपाल मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां प्रारम्भ हो गई हैं। हर साल की तरह ग्वालियर नगर निगम इस साल भी आयोजन को भव्यता प्रदान करने के लिए जुट गया है। इस बार जन्माष्टमी उत्सव गोपाल मंदिर पर 03 सितम्बर को मनाया जाएगा। जिसमें भगवान श्रीराधाकृष्ण को पन्ना, मोती, माणिक, पुखराज जड़ित आभूषणों से सजाया जाएगा। पूजा अर्चना उपरान्त दोपहर 12 बजे के बाद भगवान के मनोहारी रूप के दर्शनों के लिए पट आमजनों के लिए खोल दिए जाएंगे।

ग्वालियर का गोपाल मंदिर सिंधिया राजवंश के समय से ही शहर के लोगों की आस्था का केंद्र रहा है। मंदिर में बिराजे भगवान श्रीराधाकृष्ण का सौंदर्य लोगों को अपनी ओर बरबस ही आकर्षित कर लेता है। भगवान के श्रृंगार के लिए उपलब्ध करोड़ों रुपये कीमत के आभूषण आज भी भगवान को पहनाये जाते हैं। सिंधिया राजवंश से नगर निगम में स्थानांतरित होने के बाद लम्बे संघर्ष के उपरांत 5 सितम्बर 2007 को तत्कालीन महापौर विवेक शेजवलकर की उपस्थिति में इन्हें सेन्ट्रल बैंक के लॉकर से निकाला गया था और फिर शहर के वरिष्ठ जौहरी ओमप्रकश फाटकवाले से इनका परीक्षण कराया था।

जन्माष्टमी के अवसर पर पुलिस बल के साथ इस बार भी बैंक लाॅकर से भगवान के आभूषण तथा श्रृंगार सामग्री एवं पात्र निकालकर लाये जायेंगे तथा इनकी सफाई इत्यादि कर भगवान का श्रृंगार किया जायेगा। श्रृंगार के उपरांत महापौर विवेक शेजवलकर एवं अन्य अतिथियों के साथ भगवान की पूजा अर्चना करेंगे उसके बाद दोपहर 12 बजे से शहर के नागरिक भगवान श्रीराधाकृष्ण के दर्शन कर सकेंगे। रात्रि में 1 बजे के बाद भगवान के उक्त आभूषण पुलिस बल के साथ जिला कोषालय में जमा कराये जायेंगे। नगर निगम आयुक्त विनोद शर्मा के अनुसार सुरक्षा की दृष्टि से सम्पूर्ण मंदिर में पुलिस बल तथा क्लोज सर्किट कैमरे लगाकर पल-पल की वीडियोग्राफी कराई जाएगी ।

बहुमूल्य दुर्लभ आभूषणों से होगा श्रीराधाकृष्ण का श्रृंगार

राधाकृष्ण के श्रृंगार में नगर निगम द्वारा बैंक लाॅकर में संचित करोड़ों रुपये कीमत के आभूषण उपयोग किये जायेंगे जिसमें सफेद मोती वाला पंचगनी हार जिसकी कीमत लगभग चार लाख रुपये बताई जाती है, सात लड़ी हार जिसमें 62 असली मोती और 55 पन्ने होंगे सन् 2007 में इनकी अनुमानित कीमत लगभग 10 से 12 लाख रुपये आंकी गई थी, इसके अलावा सोने के तोड़े तथा सोने का मुकुट श्रीकृष्ण पहनेंगे जिनकी कीमत भी लगभग 40 लाख रुपये है। राधाजी का ऐतिहासिक मुकुट जिसमें पुखराज और माणिक जणित पंख हैं तथा बीच में पन्ना लगा है, तीन किलो वजन के इस मुकुट की कीमत आज की दरों पर लगभग दो करोड़ रुपये आंकी गई है तथा इसमें लगे 16 ग्राम पन्ने की कीमत लगभग 12 लाख आंकी गई है। श्रीराधाकृष्ण के नखशिख श्रृंगार के लिये लगभग साढ़े 12 लाख रुपये के आभूषण उपलब्ध हैं जिनमें श्रीजी तथा राधा के झुमके, सोने की नथ, कण्ठी, चूड़ियां, कड़े इत्यादि से भगवान को सजाया जायेगा। भगवान के भोजन इत्यादि के लिये भी प्राचीन बर्तनों की सफाई कर इस दिन भगवान का भोग लगाया जावेगा। लगभग 40 लाख रुपये कीमत के चांदी के विभिन्न बर्तनों से भगवान की भोग आराधना होगी। जिनमें भगवान की समई, इत्र दान, पिचकारी, धूपदान, चलनी, सांकड़ी, छत्र, मुकुट, गिलास, कटोरी, कुंभकरिणी, निरंजनी आदि सामग्रियों का भी प्रदर्शन किया जायेगा।  

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