मप्र की चार हस्तियों जोधइया बाई, डा डावर, रमेश परमार और शांति परमार को मिला पद्मश्री पुरस्कार

Update: 2023-01-26 11:30 GMT

 भोपाल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 2023 के लिए पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण पुरस्कार विजेताओं के नाम की घोषणा की गई। इनमें मध्य प्रदेश के चार लोगों को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। इनमें उमरिया जिले में रहने वाली जोधइया बाई और झाबुआ में रहने वाले दंपति रमेश और शांति परमार को कला क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए पद्मश्री पुरस्कार दिया जाएगा, जबकि जबलपुर के डॉक्टर एमसी डावर को चिकित्सा क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। डॉक्टर डावर आज भी 20 रुपये की फीस लेकर मरीजों को इलाज करते हैं।

झाबुआ के दंपती रमेश-शांति परमार को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है। दोनों 30 वर्षों से आदिवासी गुड़िया बना रहे हैं। शांति बताती हैं कि जनजातीय परियोजना के तहत आदिवासी गुड़िया बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। ससुर और अन्य स्वजन के सहयोग से उन्होंने यह विधा सीखी। बाद में यही विधा परिवार की आजीविका का साधन बन गई। अपनी कला को निखारने और उसे लगातार आगे बढ़ाने में ही पति-पत्नी लगे हुए हैं। रमेश का कहना है कि उन्हें सरकारी विभागों से मोबाइल पर पद्मश्री मिलने की सूचना मिली है। इसके बाद परिवार में छाई हुई है।

मप्र के जबलपुर जिले के रहने वाले डॉक्टर मुनिश्चर चंद्र डावर (एमसी डावर) सेना से सेवानिवृत्त डॉक्टर हैं। वह पहले दो रुपये फीस लेकर मरीजों का उपचार करते थे। आज के दौर में भी वह 20 रुपये की फीस ले रहे हैं। डॉक्टरी को सेवा का भाव मानकर वह गरीबों का उपचार करते आ रहे हैं। जबलपुर ही नहीं पूरे प्रदेश में वह काफी चर्चित है। चिकित्सा क्षेत्र में इस बेहतर योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।

प्रदेश के उमारिया जिले की बैगा जनजातीय की जोधाइया बाई को कला क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए पद्मश्री दिया जाएगा। 84 वर्षीय जोधाइया बाई ने पति की मौत के बाद पेंटिंग बनाना शुरू किया था। वे जानवरों की पेंटिंग बनाती है। 2019 में जोधाइया बाई की बनाई गई पेटिंग की प्रदर्शनी इटली में भी लगी थी। इससे पहले उन्हें कई बड़े अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

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