विधायकों के झटके से टूट रहा कांग्रेस का मनोबल ?

  • राजनीतिक गलियारों में चर्चा अभी पांच और विधायक जाएंगे

Update: 2020-10-27 01:15 GMT

भोपाल/वेब डेस्क। मध्यप्रदेश में चुनावी समर के बीच भाजपा कांग्रेस को किसी भी तरह वॉकओवर देने के मूड में नजर नहीं आ रही, और अब उसके निशाने पर कांग्रेस नेतृत्व का उत्साह और पार्टी नेताओं का मनोबल है, जिसे वह उपचुनाव से पहले कमजोर करना चाहती है। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि राहुल लोधी के बाद अभी कांग्रेस के कुछ और विधायक कांग्रेस को अलविदा कहने की तैयारी में हैं। हालांकि स्पष्ट रुप से यह विधायक कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी की कसमें खाने से भी पीछे नही हट रहे हैं। मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में विधानसभा में तो कांग्रेस का गणित प्रभावित होगा ही, इसके अलावा चुनाव में उसका जोश भी ठंडा पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक इस कांग्रेस से विधायकों के अलविदा कहने का क्रम 3 नवम्बर यानि 28 सीटों पर उप चुनाव के लिए मतदान से पहले हो सकता है।

कौन से 5 विधायक निशाने पर ?

वो कौन से विधायक होंगे, जो आने वाले समय में भाजपा के निशाने पर रह सकते हैं, इसे लेकर काफी हद तक स्थिति साफ हो चुकी है। इनमें एक आदिवासी बेल्ट से आने वाली महिला विधायक हैं, तो दूसरे बुंदेलखंड से ताल्लुक रखने वाला ब्राह्मण चेहरा कांग्रेस का साथ छोड़ सकता है। विधायकों के नजदीकी सूत्रों का दावा है, कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से इनकी मुलाकात हो चुकी है, और अब इन्हें सिर्फ उनकी हरी झंडी का इंतजार है, जिसके बाद ये अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। इन दो विधायकों के अलावा राजनीतिक विश्लेषकों की माने, तो राहुल लोधी के भाजपा में शामिल होने के बाद तरबर लोधी सहित धार जिले के धरमपुरी विधानसभा से कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेड़ा, भीकनगांव विधानसभा से विधायक झूमा सिंह सोलंकी एवं एक अन्य के भाजपा के संपर्क में होने की चर्चा तेज है?

एक तीर से तीन निशाने !

कांग्रेस विधायकों के इस तरह के दलबदल को लेकर भाजपा तिहरी रणनीति पर काम कर रही है, इसमें एक तो वह विधानसभा के गणित के लिहाज से कांग्रेस को लगातार कमजोर कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर वह चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्साह कम भी कर रही है, अगर इसके तीसरे पहलू पर गौर करें, तो वह जुड़ा है कांग्रेस के नेतृत्व से। दरअसल भाजपा जनता के बीच यह संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस के पास ऐसा मजबूत नेतृत्व नहीं है, जो बेहतर तरीके से सरकार चला सके, कांग्रेस को एक के बाद एक झटका देकर वह इस बात को साबित करने में भी काफी हद तक सफल हुई है।

अब तक 26 विधायकों ने छोड़ा कांग्रेस का साथ

दरअसल, एक दिन पहले ही कांग्रेस के दमोह विधायक राहुल लोधी ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया और अब तक कांग्रेस छोड़ने वाले विधायकों की संख्या 26 हो चुकी है। ऐसे में कांग्रेस भाजपा पर विधायकों को प्रस्ताव देने का आरोप लगा रही है। एक के बाद एक विधायकों के कांग्रेस पार्टी छोड़ने को लेकर पार्टी के अंदर हड़कंप मचा हुआ है।

सत्ता का पहला समीकरण

दूसरी तरफ भाजपा के विधायकों की संख्या 107 है। वहीं कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्या घटकर 87 पहुंच गई है। जिसके बाद सिर्फ एक सीट रिक्त होने से सदन में संख्या बल 229 माना जा रहा है। जिसके बाद सरकार में रहने और आने के लिए बहुमत का आंकड़ा 115 सीट पर आकर ठहरता है। इस हिसाब से भाजपा को बहुमत हासिल करने के लिए 8 सीटों पर जीत दर्ज करने की जरूरत है, जबकि कांग्रेस को 28 सीट जीतना जरूरी है।

जीत के लिए दूसरा समीकरण

वहीं दूसरे समीकरण की बात करें तो 7 ऐसे विधायक हैं, जो सत्ता पक्ष के साथ रहने की बात पहले ही कर चुके हैं। जिसके बाद सत्ता तक पहुंचने के लिए जरूरी विधायकों की संख्या 108 मानी जा रही है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के पास 87 विधायकों की संख्या है और उसे सत्ता हासिल करने के लिए 21 सीटों पर जीत की जरूरत है। वहीं भारतीय जनता का पार्टी के पास 107 विधायक बल मौजूद है और उसे चार निर्दलीय विधायकों सहित बसपा के दो और एक सपा विधायक का समर्थन पहले से ही हासिल है। इसलिए उसे सत्ता में बने रहने के लिए एक सीट पर जीत हासिल करनी होगी।

कमलनाथ ने स्वीकारा भाजपा के सम्पर्क में हैं विधायक

मध्य प्रदेश की कांग्रेस कमेटी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एक के बाद एक अपने विधायकों के पलायन से हताश हैं और इस कड़वी सच्चाई को स्वीकार कर रहे हैं कि उनके कुछ विधायक भाजपा नेताओं के सम्पर्क में हैं। कमलनाथ ने यह भी दावा किया कि उनके विधायकों को पार्टी छोड़ने के लिए प्रलोभन दिया जा रहा है, लेकिन उन्होंने अभी यह बताने से इंकार कर दिया कि भाजपा के कौन-कौन नेता उनके विधायकों के सम्पर्क में हैं और कौन-कौन से विधायकों से सम्पर्क किया गया है।

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