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स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर ऐसे किया पलटवार, कहा - 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने'

Update: 2020-02-18 04:15 GMT

दिल्ली। सेना में महिला अधिकारियों के कमान संभालने का मार्ग प्रशस्त करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी ने सरकार को घेरने की कोशिश की, जिसके बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी पलटवार किया और उन्हें 'बेगानी शादी का अब्दुल्ला' करार दिया। दरअसल, सेना में महिला अधिकारियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला था और कहा था कि शीर्ष अदालत ने नरेंद्र मोदी की 'महिला विरोधी सोच और 'महिलाओं के प्रति उसके पूर्वाग्रह को खारिज कर दिया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत में जो दलील दी वह देश की हर महिला का अपमान है।

इसके बाद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सरकार की ओर से मोर्चा संभाला और राहुल गांधी पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने ट्वीट के जरिए राहुल गांधी को 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने' कहकर संबोधित किया।

उन्होंने ट्वीट किया,- 'आदरणीय बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाने, यह पीएम नरेंद्र मोदी जी ही थे, जिन्होंने सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए स्थायी आयोग की घोषणा की थी, जिससे लैंगिक न्याय सुनिश्चित हुआ और जब आपकी सरकार थी, तब भाजपा महिला मोर्चा ने इस मुद्दे को उठाया था।' उन्होंने यह भी कहा कि ट्वीट करने से पहले अपने टीम से बोलिए कि वे चेक करें।

दरअसल, राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा था, 'सरकार ने उच्चतम न्यायालय में यह दलील देकर हर महिला का अपमान किया है कि महिला सैन्य अधिकारी कमान मुख्यालय में नियुक्ति पाने या स्थायी सेवा की हकदार नहीं हैं क्योंकि वे पुरुषों के मुकाबले कमतर होती हैं। मैं भाजपा सरकार को गलत साबित करने और खड़े होने के लिए भारत की महिलाओं को बधाई देता हूं।'

गौरतलब है कि सैन्य बलों में लैंगिक भेदभाव खत्म करने पर जोर देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सेना में महिला अधिकारियों के कमान संभालने का मार्ग प्रशस्त कर दिया और केन्द्र को निर्देश दिया कि तीन महीने के भीतर सारी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाये। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार की इस दलील को विचलित करने वाला और समता के सिद्धांत के विपरीत बताया जिसमें कहा गया था कि शारीरिक सीमाओं और सामाजिक चलन को देखते हुए कमान पदों पर नियुक्ति नहीं की जा रही है। पीठ ने कहा कि महिला अधिकारियों ने पहले भी देश का सम्मान बढ़ाया है और उन्हें सेना पदक समेत कई वीरता पदक मिल चुके हैं।

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