कश्‍मीर से लेकर मिलिट्री तक के सीक्रेट्स, पाकिस्‍तान के बिछाए 'स्‍पाई ट्रैप' का कच्‍चा चिट्ठा

Update: 2020-06-01 06:03 GMT

दिल्‍ली। इंटर-सर्विसिज इंटेजिलेंस के जासूस पाकिस्‍तानी हाई कमिशन में काम करते हुए इन्‍फॉर्मेशन जुटा रहे थे। रविवार को उन्‍हें रंगे हाथ क्‍लासिफाइड डॉक्‍युमेंट एक्‍सचेंज करते पकड़ा गया। उनकी गिरफ्तारी ने पाकिस्‍तान के 'स्‍पाई ट्रैप' का नक्‍शा सामने रख दिया है। आईएसआई के ये जासूस खुद को 'कारोबारी' बताकर डिफेंस ऑफिसर्स से मिलते। उनसे कहते कि 'न्‍यूज रिपोर्टर्स' के लिए इन्‍फॉर्मेशन ले रहे हैं। जानकारी हाथ लगते ही आईएसआई तक पहुंचा दी जाती। पाकिस्‍तान की प्‍लानिंग कश्‍मीर से लेकर मिलिट्री तक के सीक्रेट्स हासिल करने की है।

तीनों को आईएसआई से पूरी ट्रेनिंग मिली थी। आबिद हुसैन (42) और ताहिर खान (44) फर्जी आधार कार्ड लेकर घूम रहे थे। वो जिस कार में घूम रहे थे, उसे जावेद हुसैन चला रहा था। ये डिफेंस के अधिकारियों को बार-बार ललचाते, उनसे इन्‍फॉर्मेशन निकलवाने की कोशिश करते। इस‍ वजह से मिलिट्री इंटेलिजेंस के रडार पर थे। दिल्‍ली पुलिस की स्‍पेशल सेल के साथ मिलकर उन्‍हें ट्रैक करना शुरू किया गया। तीनों पाकिस्‍तानी नागरिकों रविवार को करोलबाग में बेहद सेंसिटिव इन्‍फॉर्मेशन के लिए एक 'डिफेंस कर्मचारी' से मिलने गए थे। तभी उन्‍हें धर दबोचा गया। उनके पास से 15 हजार रुपये, दो आईफोन मिले हैं।

PAK हाई कमिशन के डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेड में असिस्‍टेंट आबिद हुसैन ISI का ऑपरेटिव था। न्‍यूज एजेंसी IANS ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि वह पाकिस्‍तान के पंजाब का रहने वाला है। उसने भारत को बताया कि वह अमृतसर से है। उसका साथ मोहम्‍मद ताहिर इस्‍लामाबाद से है और HC में अपर डिविजन क्‍लर्क है। दोनों दो साल से हाई कमिशन में थे। उनकी गाड़ी चलाने वाला जावेद भी पाकिस्‍तान के पंजाब का रहने वाला है। दोनों साथ-साथ 'न्‍यूज रिपोर्टर्स' के लिए इन्‍फॉर्मेशन बटोरने निकलते थे। न्यूज रिपोर्टर्स दरअसल डीकॉय रिपोर्टर्स थे जिन्‍हें हर आर्टिकल के 25 हजार रुपये और महंगे तोहफे मिला करते थे। उन्‍हें Paytm जैसे ऐप से भी पैसा पहुंचता था।

अपने तीन जासूस पकड़े जाने से पाकिस्‍तान सकते में है। उसने अपने स्‍टाफर्स पर जासूसी के आरोप को 'बेबुनियाद' और 'झूठा' करार दिया है। इस्‍लामाबाद ने कहा कि उसके कर्मचारियों को टॉर्चर किया जा रहा है। मगर यहां भी पाकिस्‍तान ने असली रंग दिखा ही दिया। जब सबका ध्‍यान कोरोना वायरस पर है, तब पाकिस्‍तान कह रहा है कि भारत ने जासूसों को पकड़ कर कश्‍मीर से ध्‍यान हटाने की कोशिश की है। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, "यह कार्रवाई जम्‍मू-कश्‍मीर में खराब होने हालात और मानवाधिकार उल्‍लंघन और बीजेपी सरकार के सामने खड़ी बाहरी और अंदरूनी चुनौतियों से ध्‍यान हटाने की तरकीब है।"

इन जासूसों के खिलाफ ऑफिशियल्‍स सीक्रेट्स ऐक्‍ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। भारत ने पाकिस्‍तानी हाई कमिशन के दो स्‍टाफ को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित कर दिया है। उन्‍हें 24 घंटे में देश छोड़कर जाने को कहा गया है। आखिरी बार 2016 में ऐसा वाकया हुआ था ज‍ब पाकिस्‍तानी डिप्‍लोमेटिक स्‍टाफर को बाहर किया गया हो। भारत ने पाकिस्‍तान से साफ कहा है कि वो यह सुनिश्चित करे कि उसका कोई डिप्‍लोमेटिक स्‍टाफ भारत के खिलाफ गतिविधि में शामिल न हो। इन जासूसों के इन्‍फॉर्मेंट्स का पता लगाया जा रहा है। हाई कमिशन के बाकी स्‍टाफ की भी निगरानी होगी ताकि पता चल सके कोई और जासूस तो वहां छिपा नहीं है।

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