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#PositivityUnlimited : आपदा की इस घड़ी में हमें लाइफस्टाइल नहीं बल्कि लाइफ की चिंता करनी चाहिए

सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने पॉजिटिविटी अनलिमिटेड कार्यक्रम को संबोधित किया

Update: 2021-05-11 12:58 GMT

नईदिल्ली। ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने आज कहा कि कोरोना संकट की इस घड़ी में हमें अपने लाइफस्टाइल नहीं बल्कि लाइफ की चिंता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हमें आलोचना और चर्चा में अपनी श्वास और ऊर्जा नहीं गवानी चाहिए।

I think we should deal with panic, frustration, fear, anger. None of these things are going to help us as this is not...

Posted by Swadesh on Tuesday, 11 May 2021

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहल से 11 से 15 मई के बीच कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान सकारात्मक संदेश देने के लिए एक व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में मंगलवार को पद्म विभूषण से सम्मानित सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने अमेरिका से संदेश भेजा है। 'पॉजिटिविटी अनलिमिटेड : हम जीतेंगे' व्याख्यान श्रृंखला का समन्वय दिल्ली कोविड रिस्पांस टीम के संयोजक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने किया।

पश्चिमी लाइफस्टाइल का मोह छोड़ना होगा - 

अपने संदेश में उन्होंने कहा कि महामारी के इस दौर में हम पश्चिमी सोच के अनुरूप अपने लाइफ स्टाइल पर ज्यादा केन्द्रित हो गए हैं और उसका मोह हमें छोड़ना होगा। वैज्ञानिकों मानना है कि महामारी अगले 3 से 4 साल भी हमारे बीच रह सकती है। ऐसे में हमें खुद को तैयार करना होगा। दुनिया ने अपने इतिहास में इससे भी बड़े कष्ट देखे हैं।उन्होंने कहा, "यह समय बहुत गहरे जाकर अपनी सांस्कृतिक जड़ों की ओर लौटने का है जो मानव के भीतर जाकर उसके स्वस्थ होने पर बल देती हैं। कम से कम भारत को यह उदाहरण विश्व के सामने स्थापित करना चाहिए। चाहे हमारे जीवन में कुछ भी हो जाए...हम शांत रहेंगे। कैसी भी परिस्थिति हो जाए, हम उससे पार पाने में सफल होंगे।"

प्रतिदिन व्यायाम करें - 

जग्गी वासुदेव ने कहा कि युद्ध के समय हमें खुद को तैयार करना चाहिए। वर्तमान में भी हमें स्वयं को अदृश्य दुश्मन के खिलाफ खुद को तैयार करना चाहिए। दिन में करीब 30 मिनट स्वयं की रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए व्यायाम को देना चाहिए।सदगुरु ने कहा कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से बहुत से लोग आलोचना करने और आरोप लगाने में लगे हुए हैं। यह समय इन विषयों का नहीं है। महामारी एक संकट है जिसे भारत जैसे बड़े देश में सीमित संसाधनों के साथ नियंत्रण में लाने की कोशिश की जा रही है। इस समय हमें जागरूकता फैलानी चाहिए। लोगों को बीमारी से कैसे निपटना है, इसके प्रति जागरूक करना चाहिए।

एकजुट होने का समय - 

उन्होंने कहा, "..घबराहट, हताशा, भय, क्रोध, इनमें से कोई भी चीज हमारी मदद करने वाली नहीं है। यह एक-दूसरे पर उंगली उठाने का समय नहीं है। यह एक साथ मिलकर खड़े होने का समय है - एक राष्ट्र के रूप में ही नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज के रूप में।" सदगुरु ने कहा कि बीमारी में हमें खुद को बचाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसे में सभी तरह की गतिविधियां बंद कर देना सही उपाय नहीं होगा।

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