प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए की किसानों का मन बदलने की कोशिश, जानें कैसे

Update: 2020-11-29 06:42 GMT

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रेडियो कार्यक्रम मन की बात में नए कृषि कानून पर बात की। जिसमें उन्होंने नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का मन बदलने का फिर से प्रयास किया है। साथ ही उन्होंने कुछ किसानों का उदाहरण देकर इन कानूनों के फायदों का जिक्र किया। जैसे बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं। बरसों से किसानों की जो मांग थी, जिन मांगों को पूरा करने के लिए किसी समय में हर राजनीतिक दल ने उनसे जो वायदा किया था, वे मांगें पूरी हुई हैं। काफी विचार-विमर्श के बाद संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी रूप दिया। इन सुधारों से न केवल किसानों के बंधन खत्म हुए, बल्कि उन्हें अधिकार और अवसर भी मिले हैं।

मुख्य बातें :-

>> प्रधानमंत्री ने कृषि की पढ़ाई कर रहे छात्रों से गांवों के किसानों को कृषि सुधारों और आधुनिक कृषि को लेकर जागरुक कर देश में हो रहे बदलाव का सहभागी बनने की अपील की।

>> प्रधानमंत्री ने सर्दी के मौसम में बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखने और सावधानी बरतने की सलाह दी।

>> कोरोना वैक्सीन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने देश की जनता से सावधान रहने के साथ लड़ाई को मजबूती से जारी रखने की अपील की।

>> छह दिसंबर को बाबा साहब को श्रद्धांजलि देने के साथ ही देश के प्रति अपने संकल्पों, संविधान ने, एक नागरिक के तौर पर अपने कर्तव्य को निभाने की जो सीख हमें दी है, उसे दोहराने का है।

पीएम मोदी ने इस दौरान महाराष्ट्र के धुले जिले के किसान जितेन्द्र भोइजी के नए कृषि कानूनों का इस्तेमाल कैसे किया। इसकी जानकारी देशवासियों को दी। उन्होंने कहा कि कानून में एक और बहुत बड़ी बात है। इस क़ानून में ये प्रावधान किया गया है कि क्षेत्र के एसडीएम को एक महीने के भीतर ही किसान की शिकायत का निपटारा करना होगा। अब जब ऐसे कानून की ताकत हमारे किसान भाई के पास थी, तो उनकी समस्या का समाधान तो होना ही था, उन्होंने शिकायत की और चंद ही दिन में उनका बकाया चुका दिया गया।

पीएम ने राजस्थान के किसान मोहम्मद असलम की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि मोहम्मद असलन ने किसानों में जागरूकता बढ़ा रहे हैं। राजस्थान के बारां जिले में रहने वाले मोहम्मद असलम जी। एक किसान उत्पादक संघ के सीईओ भी हैं। उन्होंने कहा, 'उम्मीद है, बड़ी बड़ी कम्पनियों के CEOs को ये सुनकर अच्छा लगेगा कि अब देश के दूर दराज वाले इलाको में काम कर रहे किसान संगठनों मे भी CEOs होने लगे हैं।'

पीएम मोदी ने कहा कि देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा भारत वापस आ रही है। माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की तरह ही, हमारी विरासत की अनेक अनमोल धरोहरें, अंतर्राष्ट्रीय गिरोंहों का शिकार होती रही हैं। ये गिरोह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इन्हें, बहुत ऊंची कीमत पर बेचते हैं। अब, इन पर, सख्ती तो लगायी ही जा रही है, इनकी वापसी के लिए, भारत ने अपने प्रयास भी बढ़ायें हैं। मैं कनाडा की सरकार और इस पुण्य कार्य को सम्भव बनाने वाले सभी लोगों का इस सहृदयता के लिये आभार प्रकट करता हूं। माता अन्नपूर्णा का, काशी से, बहुत ही विशेष संबंध है | अब, उनकी प्रतिमा का, वापस आना, हम सभी के लिए सुखद है।

मोदी बोले कि कल गुरुनानक देव जी का 551वां प्रकाश दिवस मनाएंगे। दुनियाभर में उनके संदेश सुनाई देते हैं। वे कहते थे कि सेवक का काम सेवा करना है। बीते सालों में सेवा करने के कई मौके आए और गुरु साहब ने हमसे कई सेवाएं लीं। गुरु साहब की कृपा रही कि उन्होंने मुझे सेवा के लिए करीब से जोड़ा। कच्छ के लखपत गुरुद्वारा की मरम्मत कराई गई। इसकी यूनेस्को ने भी तारीफ की। इस गुरुद्वारे में असीम शांति मिलती है।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत में भी, बहुत-सी बर्ड वॉचिंग सोसाइटी सक्रिय हैं। आप भी, जरूर, इस विषय के साथ जुड़िए। मेरी भागदौड़ की ज़िन्दगी में, मुझे भी, पिछले दिनों केवड़िया में पक्षियों के साथ समय बिताने का बहुत ही यादगार अवसर मिला। पक्षियों के साथ बिताया हुआ समय, आपको, प्रकृति से भी जोड़ेगा, और, पर्यावरण के लिए भी प्रेरणा देगा। मेरे प्यारे देशवासियो, भारत की संस्कृति और शास्त्र हमेशा से ही पूरी दुनिया के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कई लोग तो इनकी खोज में भारत आए और हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए तो कई लोग वापस अपने देश जाकर, इस संस्कृति के संवाहक बन गए। मुझे "Jonas Masetti" के काम के बारे में जानने का मौका मिला, जिन्हें, 'विश्वनाथ' के नाम से भी जाना जाता है। जॉनस ब्राजील में लोगों को वेदांत और गीता सिखाते हैं। वे विश्वविद्या नाम की एक संस्था चलाते हैं, जो रियो डि जेनेरो से घंटें भर की दूरी पर पेट्रोपोलिस के पहाड़ों में स्थित है।

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