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सामने आया प्रधानमंत्री के बयान का सच, कांग्रेस सहित विपक्ष ने चुप्पी साधी

Update: 2021-03-31 09:43 GMT

नई दिल्ली/वेब डेस्क। बांग्लादेश के दौरे के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान का सच सामने आने के बाद ट्विटर के बयानवीरों ने चुप्पी साध ली है। सच तो यह है कि 12 अगस्त 1971 को बांग्लादेश की आजादी के लिए जब जन सत्याग्रह हुआ था, तब नरेंद्र मोदी भी इस सत्याग्रह में शामिल थे और जेल भी गए थे। इस सत्याग्रह का नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल जी ने किया था। लेकिन उनके इस बयान का कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने गलतबयानी कर भ्रम फैलाने का काम किया जबकि तथ्य ठीक इसके विपरीत हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे राजनेता हैं जो आए दिन अपने बयानों से विपक्षी खेमे में हडक़ंप मचा देते हैं और ट्विटरबाज भी ताक में रहते हैं की कब उनको ट्रोल करें। खैर, प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश दौरे के अवसर पर बांग्लादेश की आजादी के स्वर्ण जयंती और बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शतादी के अवसर पर ढाका में आयोजित मुय समारोह में वर्ष 1971 के युद्ध को याद करते हुए कहा था कि "बांग्लादेश की आजादी के लिए उस संघर्ष में शामिल होना मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था। बांग्लादेश की आजादी के समर्थन में तब मैंने गिरतारी भी दी थी और जेल जाने का अवसर भी आया था।" उनके इस वतव्य के कई मायने निकाले गए। कांग्रेस समेत विपक्ष के कई नेताओं ने इसे कोरी गप्प करार दिया। ट्विटर बाजों को भी काम मिल गया सो वो ट्विटर पर हैशटैग #LieLikeModi ट्रेंड कराने लगे। जल्दबाजी में हेडलाइन और ट्वीट पढक़र शशि थरूर ने तो अपनी प्रतिक्रिया भी दे दी हालांकि जब उन्हें सच्चाई पता चली तो उन्होंने माफी भी मांग ली। लेकिन लोगों ने विपक्ष को जवाब देने के लिए इतिहास के पन्ने खंगाले और तथ्य सहित विभिन्न माध्यमों से विपक्ष को जवाब दिया। उसके बाद मानों विपक्ष की आवाज दबने लगी।

आइए जानते हैं इस घटना का इतिहास क्या है। दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 12 अगस्त 1971 को जनसंघ अध्यक्ष के नाते जन सत्याग्रह का नेतृत्व किया जिसमे भारतीय संसद के बाहर हजारों की संया में लोग इकठ्ठा हुए जहां इंदिरा गांधी की नेतृत्व वाली भारत सरकार से बांग्लादेश आजाद कराने में सक्रिय भूमिका निभाने की मांग की थी। इस आंदोलन में सैकड़ों लोगों को जेल भी जाना पड़ा। इस सत्याग्रह में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। यही वो दौर था जब उन्होंने 20-22 वर्ष की उम्र में सक्रिय राजनीतिक आंदोलन में हिस्सा लिया। उन्हें अल्प समय के लिए तिहाड़ जेल भी जाना पड़ा। बाद में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को बांग्लादेश सरकार ने आजादी में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए बांग्लादेश लिबरेशन वार ऑनर से समानित भी किया था।

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