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मप्र इलेक्ट्रानिक विकास निगम के 3000 करोड़ ई-टेंडर घोटाले में 6 आरोपियों को कोर्ट ने किया दोषमुक्त

35 गवाहों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि - अभियोजन आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर सका

Update: 2022-11-23 16:18 GMT

भोपाल/वेब डेस्क। राज्य के चर्चित सिंचाई विभाग के तीन हजार करोड़ ई-टेंडर घोटाले में स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को 6 आरोपियों को दोसमुक्त कर दिया है।जिसमे अभियोजन पक्ष घोटाले को साबित करने में असफल रहा ,जिसके चलते कोर्ट नेआरोपियों को बरी कर दिया। 

ई-टेंडर घोटाले के मामले की सुनवाई स्पेशल जज संदीप कुमार श्रीवास्तव की कोर्ट में चल रही थी। इस मामले में मध्य प्रदेश इलेक्ट्रानिक विकास निगम के ओएसडी नंद किशोर ब्रह्मे, ओस्मो आईटी सॉल्यूशन के डॉयरेक्टर वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी, सुमित गोवलकर, एंटारेस कंपनी के डायरेक्टर मनोहर एमएन और भोपाल के व्यवासायी मनीष खरे आरोपी थी। ईओडब्ल्यू ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया था। ब्रह्मे की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील प्रशांत हरने ने बताया कि 35 गवाहों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों को बरी कर दिया। करोडो के इस घोटाले में जलसंसाधन मंत्री एवं वर्तमान गृहमंत्री के ओएसडी के खिलाफ EOW ने मामला दर्ज किया था। लगभग 3 हजार करोड़ के इस घोटाले में जांच एजेंसियों ने कई जगहों पर छापेमारी भी की थी। जानकारी के अनुसार बता दें ई-टेंडर घोटाला 2018 में हुआ था। इसमें एफआईआर 2019 में दर्ज की गई थी। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने हार्डडिस्क के एनालिसिस रिपोर्ट के बाद एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही थी। जहां ईओडब्ल्यू कोर्ट के सामने आरोप साबित नहीं कर पाया। इस फैसले से EOW को बड़ा झटका लगा है।

जज ने सुनाया फैसला 

मध्यप्रदेश के 3 हजार करोड़ के इस ई-टेंडर के घोटाले की सुनवाई में जज संदीप कुमार श्रीवास्तव ने कोर्ट में अपना फैसला सुनते हुए कहा की अभियोजन कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर सका है।

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