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कमलनाथ सरकार के कथित तबादला उद्योग की दीवारें ध्वस्त

मप्र में क्यों आवश्यक थी बड़ी प्रशासनिक सर्जरी ? पढ़िए पूरी खबर...

Update: 2020-05-11 01:37 GMT
File Photo

भोपाल, विनोद दुबे। मध्यप्रदेश में सरकार बदलने के डेढ़ माह बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार 9 मई की देर रात बड़ी प्रशासनिक शल्यक्रिया कर दी। भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रदेश के आधा सैकड़ा वरिष्ठ और वरिष्ठतम अधिकारियों को स्थानांतरित करते हुए उनके विभाग और दायित्व बदल दिए। मुख्यमंत्री ने ऐसा क्यों किया? या उन्हें ऐसा क्यों करना पड़ा? इसके पीछे के कारणों से मध्यप्रदेश की जनता अनभिज्ञ नहीं है। सहज समझा जा सकता है कि भाजपा की शिवराज सरकार ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के उस कथित तबादला उद्योग को ध्वस्थ किया है, जिसका आरोप विपक्ष में बैठी भाजपा 15 महीनों तक लगाती रही। जिसकी परिसीमा में उलझकर कई अधिकारी स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति तक के लिए मजबूर हुए, तो कई इस तंत्र का हिस्सा बनकर मिनटों में स्थानांतरण निरस्त करा सकने का दंभ भरने लगे थे।

उल्लेखनीय है कि मप्र में कमलनाथ सरकार स्थापना के साथ ही स्थानांतरणों के लिए चर्चित हो गई थी। प्रदेश के मुख्य सचिव, विभागीय प्रमुख सचिवों और पुलिस महानिदेशक से लेकर गांव के पटवारी तक के स्थानांतरणों को लेकर तत्कालीन सरकार चर्चाओं में रही। कमलनाथ सरकर सिर्फ स्थानांतरणों को लेकर ही चर्चाओं में नहीं रही, बल्कि किए स्थानांतरणों को कुछ ही मिनटों में, घंटों में या अगले दिन निरस्त कर दिए जाने एवं स्थानांतरण के बाद पदस्थापना आदेश बदले जाने को लेकर भी सरकार पर ऊंगलियां उठती रहीं। विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी ने सडक़ से लेकर सदन तक खुलकर तत्कालीन सरकार पर स्थानांतरण उद्योग चलाए जाने के आरोप लगाए थे। खास बात यह रही कि भाजपा द्वारा कमलनाथ सरकार पर लगाए गए कथित तबादला उद्योग की परिधि में सिर्फ वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी नहीं रहे, बल्कि जिलाधीश, अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार से लेकर पटवारी तक एवं जिलों के पुलिस अधीक्षकों से लेकर आरक्षक के तबादले भी रहे। कई अधिकारी और कर्मचारी ऐसे भी रहे जिनके स्थानांतरण सरकार के 15 महीने में ही दो-तीन बार हो गए। कांग्रेस दावा करती है कि मप्र में उसने सिर्फ 12 महीने ही सरकार चलाई है, अर्थात तीन महीने लोकसभा चुनावों की आचार संहिता और चुनावों में खफ गया, लेकिन वास्तविकता यही है कि इन तीन महीनों में भी स्थानांतरणों का क्रम धीमा नहीं हुआ था। इसलिए विपक्ष में बैठी भाजपा यह दावा करती थी कि प्रदेश में उनकी सरकार आते ही ऐसे अधिकारियों का स्थानांतरण किया जाएगा, जो इस तबादला उद्योग का हिस्सा बनकर प्रमुख विभागों और सीटों पर बैठे हैं। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद ऐसे ही अधिकारी अधिक घबराहट में थे, जो तत्कालीन सरकार के खास बनकर लम्बे समय तक अच्छे पदों पर जमे बैठे रहे।

चहेते हटते ही परेशान हुए कांग्रेस

कई अधिकारी जो कमलनाथ सरकार के चहेते थे, वरिष्ठता सूची में नहीं होने के बावजूद उन्हें वरिष्ठतम पदों पर बैठा दिया गया था। सरकार गिरने का अंदेशा होते ही कमलनाथ सरकार ने तत्कालीन मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहती को हटाकर एवं वरिष्ठता सूची को खूंठी पर टांगकर एम.गोपाल रेड्डी को मुख्य सचिव बना दिया था। लेकिन सरकार बदलते ही उन्हें फिर से मुख्य सचिव पद से हटना पड़ा। इसी प्रकार विगत डेढ़ माह में हुए चहेते अधिकारियों के स्थानांतरण एवं विभाग परिवर्तन से परेशान कांग्रेसी भाजपा सरकार पर ही तबादला उद्योग का आरोप लगाने लगी है। जबकि सच्चाई यही है कि कांग्रेसी नहीं चहते कि जिन अधिकारियों को उन्होंने प्रमुख पदों पर बैठाया है, उन्हें वहां से हटाया जाए।

सिंधिया समर्थक मंत्री भी रहे परेशान

कमलनाथ सरकार ने सात सिंधिया समर्थक विधायकों को प्रमुख विभागों का मंत्री तो बना दिया था, लेकिन उनके विभागों में पदस्थ अधिकारियों की कमान मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के हाथ में ही रही। विभागीय योजनाओं और कार्योजनाओं को लेकर भी सिंधिया समर्थक यह मंत्री कोई निर्णय नहीं ले पा रहे थे। सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी कई बार की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। इसी उपेक्षा के चलते सिंधिया समर्थक 6 मंत्रियों और 16 विधायकों ने कांग्रेस की सरकार का साथ छोड़ दिया।

जमावट में मुख्य सचिव बैंस की भूमिका महत्वपूर्ण

मध्यप्रदेश में वृहद स्तर पर की गई प्रशासनिक सर्जरी में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विश्वस्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हैं तथा उनकी कठोर प्रशासक की भी छवि है। प्रतिनियुक्ति पर जब वह दिल्ली गए थे तब भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आग्रहपूर्वक उन्हें मप्र बुलाया था। मप्र में इस बार सरकार बनते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें मुख्य सचिव बनाकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं। इस प्रशासनिक शल्यक्रिया के माध्यम से की गई अधिकारियों की जमावट भी मुख्य सचिव श्री बैंस की कार्यनीति का हिस्सा मानी जा रही है।

लम्बे समय से जनसंपर्क में जमे थे नरहरि

सचिव, जनसंपर्क विभाग से हटाकर मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ में प्रबंध संचालक बनाए गए 2001 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पी. नरहरि को शिवराज सिंह चौहान की पिछली सरकार में 22 नवम्बर 2017 को जनसंपर्क विभाग का आयुक्त बनाया गया था। बाद में वे कुछ समय के लिए इस विभाग के प्रमुख सचिव भी रहे। कमलनाथ सरकार ने भी उन्हें जनसंपर्क आयुक्त पद से उन्हें हटा दिया था, लेकिन करीब आधा घंटे में ही सामान्य प्रशासन विभाग ने दूसरा आदेश जारी कर उन्हें जनसंपर्क में यथावत रखा। वर्तमान में वे जनसंपर्क विभाग में सचिव थे। लेकिन शनिवार देर रात जारी सूची में उनके स्थान पर भोपाल के पूर्व जिलाधीश सुदामा पी.खाड़े को यह महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है।

वरिष्ठ अधिकारी और उन्हें मिले विभाग

अधिकारी पदस्थापना स्थानांतरण

एम.गोपाल रेड्डी प्रतीक्षारत अध्यक्ष राजस्व मंडल

आईसीपी केशरी अति.मु.सचिव वाणिज्यिक कर उपाध्यक्ष, नर्मदा घाटी

अनुराग जैन अति.मु.सचिव, वित्त अति.मु.सचिव, वित्त एवं योजना

मोहम्मद सुलेमान अति.मु.सचिव ऊर्जा एवं स्वास्थ्य अति.मु.सचिव, स्वास्थ्य

विनोद कुमार उपाध्यक्ष, नर्मदा घाटी अति.मु.सचिव, सा.प्र.वि.

जेएन कंसोटिया अति.मु.सचिव, सामाजिक न्याय अति.मु.सचिव, पशुपालन

मलय श्रीवास्तव प्र.सचिव लोक निर्माण प्र.सचिव, लोक स्वा. व पर्यावरण

पंकज राग प्र.सचिव, संस्कृति प्र.सचिव, खेल व संसदीय कार्य विभाग

अशोक शाह प्र.सचिव,श्रम प्र.सचिव, महिला एवं बाल विकास

मनोज गोविल प्र.सचिव, वित्त प्र.सचिव,वाणिज्यिक कर

मनु श्रीवास्तव नवीन-नवकरणीय ऊर्जा सदस्य राजस्व मंडल

नीरज मंडलोई प्र.सचिव, खनिज प्र.सचिव, लोक निर्माण

अनुपम राजन प्र.सचिव, महिला बाल विकास प्र.सचिव, उच्च शिक्षा व जनसंपर्क (प्रभार)

संजय कुमार शुक्ला प्र.सचिव, लो.स्व.यां. प्र.सचिव, उद्योग व चिकित्सा शिक्षा (प्रभार)

शिवशेखर शुक्ला प्र.सचिव, नागरिक आपूर्ति प्र.सचिव, नागरिक आपूर्ति के साथ संस्कृति

डीपी आहूजा प्र.सचिव, पशुपालन प्र.सचिव, जल संसाधन

नीतेश व्यास प्र.संचालक, विद्युत प्रबंधन प्र.सचिव, नगरीय विकास

फैज अहमद किदवई प्र.सचिव,मुख्यमंत्री व पर्यटन प्र.सचिव, स्वास्थ्य

अमित राठौर महानिदेशक, पंजीयन प्र.सचिव, वित्त

करलिन खोंगवार आयुक्त, गृहनिर्माण प्र.सचिव, तकनीकी शिक्षा व गृहनिर्माण (प्रभार)

सुखवीर सिंह आयुक्त, संस्थागत वित्त सचिव, खनिज

सोनाली पोंक्षे वायंगणकर प्र.सं, महिला विवि निगम संचालक, प्रशासन अकादमी

डॉ. एमके अग्रवाल आयुक्त, सहकारिता सचिव, आयुष विभाग

रेनू तिवारी आयुक्तचंबल संभाग आयुक्त सामाजिक न्याय

पी. नरहरि सचिव, जनसंपर्क प्र.सं. मार्कफेड व आयुक्त न.प्र.(प्रभार)

राजेश बहुगुणा आयुक्त, आबकारी सदस्य, राजस्व मंडल

राजीवचंद्र दुबे सचिव, जेल आयुक्त, आबकारी

अजीत कुमार संचालक, प्रशा.अकादमी आयुक्त, नगर तथा ग्राम निवेश

नरेश पाल आयुक्त, महिला-बाल विकास आयुक्त, शहडोल संभाग

रवींद्र मिश्र सचिव, मप्र शासन आयुक्त, रेशम

डॉ.श्रीनिवास शर्मा सचिव, मप्र शासन सचिव, स.प्र.वि.

रवींद्र सिंह सचिव, मप्र शासन वि.क.अधि., राज्य सूचना आयोग

सुदाम पी.खाड़े संचालक, स्वास्थ्य अपर सचिव, जनसंपर्क व प्र.सं. माध्यम

श्रीमन शुक्ला प्र.सं., मार्कफेड प्र.सं. एमपीआरडीसी

स्वाति मीणा नायक मिशन संचालक, स्वा.मिशन संचालक, महिला एवं बाल विकास

स्वतंत्र कुमार सिंह संचालक, नगर तथा ग्रा.निवेश अपर आयुक्त, नगरीय प्रशासन एवं विकास

शशांक मिश्रा अपर सचिव, मप्र शासन मु.का.अधि. ग्रामीण सडक़ विकास प्राधि.

छवि भारद्वाज अपर आयुक्त, आदि. विकास मिशन संचालक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन

कृष्णगोपाल तिवारी संचालक, सामा. न्याय उप सचिव, सामा.न्याय

विशेष गड़पाले मु.का.अधि. ग्रा.सडक़ वि.प्राधि.

प्रबंध संचा.मक्षेविविकं.

डॉ. विजय कुमार ज संचालक, लोक स्वास्थ्य संचालक, लोक स्वास्थ्य व लो.स्वा.निगम (प्रभार)

केके सिंह सामा.प्रशा.विभाग कृषि उत्पादन आयुक्त

उमाकांत उमराव उद्यानिकी-खाद्य प्रसंस्करण के प्रभार से मुक्त

एमबी ओझा आयुक्त ग्वालियर संभाग चंबल संभाग का प्रभार।

डॉ. अशोक भार्गव आयुक्त रीवा संभाग शहडोल के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त

धनराजू एस कौशल विकास संचालक प्र.सं. लो.स्व.निगम के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त

आलोक कुमार सिंह प्र.सं.कृषि विकास उद्योग निगम का अतिरक्त प्रभार।

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