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जम्मू : घाटी में भेजे गए 10 हजार जवान, भड़कीं महबूबा मुफ्ती

Update: 2019-07-27 13:05 GMT

जम्मू। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल के कश्मीर दौरे से लौटते ही वहां 10 हजार अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजने का फैसला हुआ और कुछ जवान वहां पहुंचाए भी जा चुके हैं। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी को पत्र लिखते हुए यह कहा है कि जम्मू कश्मीर में सीआरपीएफ की 50 कंपनियां, बीएसएफ की 10 कंपनियां, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की 30 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां तैनात की जाएंगी।

अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 25 जुलाई को तत्काल आधार पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 100 कंपनियां तैनात करने का आदेश दिया है। अधिकारियों ने कहा कि 100 और कंपनियां घाटी में भेजे जाने की संभावना है। एक कंपनी में करीब 100 कर्मी होते हैं।

अधिकारियों के अनुसार इन कर्मियों को कश्मीर घाटी में आतंकवाद निरोधक ग्रिड को मजबूती प्रदान करने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए तैनात किया जाएगा। उन्हें विमानों और ट्रेनों से पहुंचाया जा रहा है। नयी इकाइयां घाटी में पहले से तैनात सुरक्षाबलों का हाथ मजबूत करेंगी जो वार्षिक अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे हैं और रोजाना आतंकवाद निरोधक अभियान चला रहे हैं।

ये जवान घाटी में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की करीब 65 नियमित बटालियनों और यात्रा के सुचारू संचालन के लिए तैनात अन्य बलों की 20 अन्य बटालियनों के अतिरिक्त होंगे । यात्रा 15 अगस्त को समाप्त होगी। एक बटालियन में करीब 1000 कर्मी होते हैं। अधिकारियों के अनुसार नयी तैनातियों से राज्य में विधानसभा चुनाव कराने में भी मदद मिलेगी जो किसी भी समय होने की संभावना है।

यह पत्र गृह मंत्रालय के जम्मू कश्मीर डिविजन के मुकेश तिवारी की तरफ से लिखा गया है। इसमें कहा गया- "विद्रोह को रोकने और जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति बहाल रखने के लिए 10 हजार अतिरिक्त केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया जाएगा।" हालांकि, अर्धसैनिक बलों को अभी भेजा जाना बाकी है लेकिन इसको लेकर खौफ का वातावरण पहले से ही बनाया जा रहा है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा- "केन्द्र सरकार की तरफ से 10 हजार अतिरिक्त बलों की घाटी में तैनाती के फैसले ने लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है। कश्मीर में सुरक्षाबलों की कोई कमी नहीं है। जम्मू कश्मीर एक राजनीतिक समस्य है, जिसे सेना के जरिए नहीं सुलझाया जा सकता है। सरकार को इस बारे में फिर से पुनिर्विचार करना चाहिए।"

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