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WHO में बढ़ी भारत की भूमिका, 34 सदस्यी कार्यकारी बोर्ड में शामिल

-डॉ हर्षवर्धन 22 मई को संभालेंगे कार्यभार

Update: 2020-05-20 06:31 GMT

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन 22 मई को विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी बोर्ड अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे। डॉ. हर्षवर्धन COVID-19 के खिलाफ भारत की जंग में सबसे आगे खड़े लोगों में से हैं। हर्षवर्धन जापान के डॉ. हिरोकी नकातानी की जगह लेंगे, जो WHO के 34 सदस्यों के बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष हैं।

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक में भारत की तरफ से नामित किए गए डॉ. हर्षवर्धन को नियुक्त करने का प्रस्ताव 19 मई को 194 देशों ने पारित किया। हालांकि डॉ. हर्षवर्धन का पद संभालना केवल औपचारिकता भर रह गया था, जब यह फैसला हुआ था कि वह WHO की दक्षिण-पूर्व एशिया ग्रुप के लिए भारत की तरफ से नामित होंगे। इसमें सर्वसम्मति से ये भी तय किया गया था कि भारत मई से शुरू होने जा रहे 3 साल के कार्यकाल के लिए कार्यकारी बोर्ड में रहेगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 73वें विश्व स्वास्थ्य सभा ने अपने कार्यकारी बोर्ड में भारत समेत दस देशों को शामिल किया है। इसमें यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण कोरिया, रूस, घाना, ओमान, मेडागास्कर, बोतस्वाना, कोलंबिया और गिनी शामिल हैं। यह देश तीन साल के लिए इस बोर्ड के सदस्य होंगे। इस बोर्ड के अध्यक्ष पद के लिए भारत की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन इस बोर्ड के अध्यक्ष का पदभार संभाल सकते हैं। वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ जंग में भी भारत की भूमिका अहम रही है। इस जंग में भारत ने 115 से अधिक देशों को हाईड्रॉक्सी क्लोरक्वीन दवा भेज कर मदद की है।

उल्लेखनीय है कि जापान की डॉ हिरोकी नकातानी डब्ल्यूएचओ के 34 सदस्यों के बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष हैं। भारत के नामित को नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंगलवार (19 मई) को 194 देशों के विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक में पारित किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्वास्थ्य सभा की बैठक हर साल जिनेवा में होती है। इस बार यह बैठक 18-19 मई को वीडियो क़ॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की गई थी। इस सभा के दुनिया भर में 194 देश सदस्य हैं। इस बार की बैठक का केन्द्र वैश्विक महामारी कोरोना रही। दुनिया भर में इससे निपटने के प्रयास व कारगर कदमों पर चर्चा की गई और दुनिया में चल रहे अध्ययन, शोध में परिस्पर सहयोग पर जोर दिया गया। 

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