दर्दनाक घटना: पांच साल की बच्ची की मौत, अस्पताल ने इलाज से पहले मांगे 20 हजार रुपये

हापुड़ जनपद से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। जिसमें बिहार प्रदेश के जनपद जगतपुर निवासी एक गरीब मजदूर अनवर की 5 वर्षीय मासूम बेटी अमरीन की मौत महज इसलिए हो गई।

Update: 2025-06-22 15:42 GMT

स्वदेश समाचार◼️हापुड़: आज भी मानवता के सामने रुपए ने बाजी मार ली। रुपए ना होने के चलते एक मासूम को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। समय पर इलाज ना मिलने पर मासूम की तड़प तड़प कर अस्पताल के बाहर जान निकल गई। किंतु विख्यात मेडिकल कॉलेज के मैनेजमेंट व स्टाफ का मासूम को तड़पता देख दिल नहीं पसीजा। हापुड़ जनपद से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। जिसमें बिहार प्रदेश के जनपद जगतपुर निवासी एक गरीब मजदूर अनवर की 5 वर्षीय मासूम बेटी अमरीन की मौत महज इसलिए हो गई, क्योंकि अस्पताल ने इलाज शुरू करने से पहले 20 हजार रुपये जमा करने की शर्त रख दी। यह हृदय विदारक मामला पिलखुवा के सरस्वती मेडिकल कॉलेज का है। सूत्रों के मुताबिक मृत बच्ची का पिता नजदीक ही मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण कर रहा है। 

मृत बच्ची के पिता ने सुनाई दर्द भरी कहानी

मृत बच्ची के पिता अनवर के मुताबिक उन्होंने डॉक्टरों और स्टाफ से हाथ जोड़कर कहा कि मेरी बेटी की हालत बहुत खराब है, कुछ करिए। लेकिन उन्होंने साफ कहा-पहले रुपये का इंतजाम करो, तभी इलाज होगा। मेरी जेब में सिर्फ 500 रुपये थे। मैंने कहा कि बाकी का इंतजाम कर दूंगा, लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी। मेरी बेटी मेरी आंखों के सामने मर गई।

*बच्ची की मौत से मां को लगा सदमा*

मृत बच्ची की मां मौसमी की हालत सदमे से बेहद खराब है। परिवार का आरोप है कि अस्पताल ने पैसे के लिए उनकी बच्ची की जान ले ली।

*स्वास्थ्य तंत्र पर सवाल*

इस घटना ने न केवल सरस्वती मेडिकल कॉलेज की संवेदनहीनता को उजागर किया है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या इलाज के लिए पैसा पहले जरूरी है या मरीज की जान? सरकारी और निजी अस्पतालों की प्राथमिकता में इंसानियत कहां है? यह घटना पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है।

*क्या दोषी अस्पताल प्रशासन के खिलाफ होगी कार्रवाई*

अब देखना यह है कि क्या जिला प्रशासन दर्दनाक घटना का संज्ञान लेकर जांच टीम गठित करती है। जांच टीम से निष्पक्ष जांच कराकर दोषी अस्पताल प्रशासन के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है। क्या परिवार को न्याय मिलेगा या नहीं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर से स्वास्थ्य सेवाओं में व्याप्त खामियों को उजागर किया है।

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