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देश में आत्मनिर्भरता का विचार पिछले 75 सालों में सबसे अधिक मजबूत हुआ : रक्षामंत्री

रक्षामंत्री ने आत्मनिर्भर यात्रा लांच की

Update: 2021-08-13 08:30 GMT

नईदिल्ली। रक्षा मंत्रालय के अधीन सशस्त्र बल और विभिन्न संगठन भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर देश भर में 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाने के लिए कई तरह के आयोजन कर रहे हैं। इसी क्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को औपचारिक रूप से वर्चुअल कई कार्यक्रमों का शुभारंभ किया। इन कार्यक्रमों में सीमा सड़क संगठन, भारतीय तटरक्षक, भारतीय नौसेना, थल सेना, एनसीसी कैडेट्स शामिल होंगे। इसके अलावा डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की एक टीम स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए सीमा क्षेत्र के गांवों में जाएगी। 

रक्षामंत्री ने कहा देश के अलग-अलग हिस्सों में शुरू हो रहे इन कार्यक्रमों को देखकर लगता है कि केवल देशवासी ही नहीं, बल्कि जल, थल, नभ, पहाड़, पठार और पासेज भी हमारे साथ 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं। इतने सारे कार्यक्रमों की 'विविधता' में भी लक्ष्यों की 'एकता' वाले इस महोत्सव में, 'अनेकता में एकता' की झलक साफ दिखाई देती है, जो भारतीय संस्कृति का प्राण है। आज जो 'अमृत महोत्सव' हम मना रहे हैं, उसकी भावना, या मैं कहूं स्वतंत्रता, संप्रभुता और अमरत्व की भावना, भारत के लिए कोई नई या आधुनिक भावना नहीं है। मैं कैप्टन विक्रम बतरा का ज़िक्र करना चाहूँगा, जो मृत्यु को सामने देख कर भी कहता है, 'यह दिल माँगे मोर'।

उन्होंने कहा की Ideas at 75 की है तो हमें यह समझना चाहिए कि हमारे देश में आत्मनिर्भरता का विचार पिछले 75 सालों में सबसे अधिक मजबूत हुआ है। हम कभी दुनिया में हथियारों के सबसे बड़े आयातक थे। मगर आज हालात बदल गए हैं।  

उन्होंने कहा की अपने राष्ट्र के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले इन अमर सपूतों को अपनी ओर से शीश झुकाकर नमन करता हूँ। अपने सामने इतिहास बनते देखना सौभाग्य की बात होती है। इतिहास का हिस्सा बनना उससे भी बड़े सौभाग्य की बात होती है। पर हमारा यह परम सौभाग्य है, कि हम आजादी के 'अमृत-महोत्सव' रूपी इतिहास को न केवल बनते देख रहे हैं, बल्कि इसका हिस्सा भी बन रहे हैं। 

उन्होंने आगे कहा की पहले हमारे वीरों, क्रांतिकारियों को पहाड़ों में जाकर शरण लेनी पड़ती थी, आज हम उन्हीं पहाड़ों पर 'Mountain expedition' कर रहे हैं। 75 साल पहले स्वतंत्रता सेनानियों को islands पर भेज दिया जाता था। आज उन्हीं Islands पर सैकड़ों से अधिक तिरंगे फ़हराकर हम आज़ादी का जश्न मना रहे हैं।  जब ऐतिहासिक दांडी मार्च की वर्षगांठ के दिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 'अमृत महोत्सव' की शुरूआत की थी तो उन्होंने देश के सामने एक तस्वीर खींची थी जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया था यह अमृत महोत्सव कैसे होना चाहिए।  यदि मैं आजादी के संघर्ष की बात करूं, तो हमारे देश की Military Tradition के साथ-साथ जो स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई हुई उसका एक 'गौरवशाली इतिहास' है। हमारी सैन्य परम्परा अंग्रेजों के आने से सैंकड़ों साल पहले भी थी। 

चाणक्य ने अपनी पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में विस्तार से सैन्य रणनीति और राज्य की सुरक्षा में सेना के महत्व की चर्चा की है। देश के लिए मर मिटने का भाव हमारे देश की सैन्य और सांस्कृतिक परम्परा है।'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादापि गरीयसी', का विचार इस देश से निकला है। यह विचार सिन्धु के उस छोर पर दो हज़ार साल पहले भी था और 2020 में सिन्धु के इस पार गलवान में भी यह विचार भारतीय सैनिकों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत था। दूसरी बात

 

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