म्यांमार में पांच साल बाद आम चुनाव शुरू, लोग बोले: लोकतंत्र नहीं सिर्फ दिखावा
म्यांमार में पांच साल बाद आम चुनाव शुरू हुए, लेकिन सेना की निगरानी, विपक्षी बहिष्कार और गृहयुद्ध के बीच लोग इसे दिखावटी बता रहे हैं।
पांच साल के लंबे इंतजार के बाद म्यांमार में रविवार को आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई. लेकिन माहौल लोकतांत्रिक उत्साह से ज्यादा डर और अविश्वास से भरा नजर आया . देश के कई हिस्सों में जारी गृहयुद्ध और सेना की कड़ी निगरानी के बीच शुरू हुए इन चुनावों को लेकर आम लोगों और विपक्षी समूहों ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं ।
तीन चरणों में हो रहा मतदान
म्यांमार में यह चुनाव तीन चरणों में कराया जा रहा है पहला चरण 28 दिसंबर को 102 टाउनशिप्स में पूरा हो चुका है, दूसरा चरण 11 जनवरी और तीसरा चरण 25 जनवरी को प्रस्तावित है. चुनाव आयोग के मुताबिक, नतीजे जनवरी के अंत तक घोषित किए जा सकते हैं, यांगून जैसे बड़े शहरों राजधानी नायप्यिताव और कई अन्य इलाकों में स्कूलों सरकारी भवनों और धार्मिक स्थलों को मतदान केंद्र बनाया गया है, इस बार पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
भारी सुरक्षा, सेना की मौजूदगी
चुनाव से एक दिन पहले ही यांगून में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई थी, मतदान केंद्रों के बाहर हथियारबंद जवान तैनात थे और सड़कों पर सेना के ट्रक लगातार गश्त करते दिखे। हालांकि विपक्षी संगठनों और सशस्त्र प्रतिरोध समूहों ने चुनाव को बाधित करने की चेतावनी दी थी. लेकिन अब तक किसी बड़े हमले की सूचना नहीं है।
‘लोकतंत्र का मुखौटा’ बता रहे हैं एक्सपर्ट
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव लोकतंत्र की बहाली से ज्यादा सेना के शासन को वैधता देने की कोशिश है फरवरी 2021 में म्यांमार की सेना ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार का तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथ में ले ली थी 2020 के चुनाव में सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) को भारी बहुमत मिला था. लेकिन सेना ने उसे दूसरा कार्यकाल नहीं करने दिया।
जेल में आंग सान सू ची, पार्टी भी भंग
इस समय 80 वर्षीय आंग सान सू ची कई राजनीतिक मामलों में दोषी ठहराई जा चुकी हैं और कुल 27 साल की सजा काट रही हैं । सेना सरकार ने 2023 में नए चुनाव नियम लागू किए जिनके तहत एनएलडी को रजिस्ट्रेशन से वंचित कर दिया गया और अंततः पार्टी को भंग कर दिया गयाइन नियमों के चलते कई अन्य राजनीतिक दलों ने भी चुनाव में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। विपक्षी संगठनों ने लोगों से मतदान के बहिष्कार की अपील की है।
म्यांमार में हालात गंभीर है
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा है कि म्यांमार में हिंसा और धमकियों का ऐसा माहौल है, जहां अभिव्यक्ति और शांतिपूर्ण सभा के लिए कोई जगह नहीं बची है 2021 के तख्तापलट के बाद शुरू हुआ विरोध अब पूर्ण गृहयुद्ध में बदल चुका है। अब तक 22 हजार से ज्यादा लोग राजनीतिक कारणों से जेल में बंद हैं 7,600 से अधिक नागरिक मारे जा चुके हैं । संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक 36 लाख से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।