17 साल बाद तारिक रहमान की घर वापसी, ढाका लैंडिंग ने बदली बांग्लादेश की सियासत
17 साल बाद तारिक रहमान की बांग्लादेश वापसी। BNP समर्थकों की भारी भीड़, चुनावी दावेदारी और सत्ता की नई सियासी तस्वीर।
जूते उतारकर मिट्टी को माथे से लगाया
17 साल बाद खालिदा जिया के बेटे और BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान आखिरकार बांग्लादेश लौट आए. जैसे ही तारिक रहमान ने ढाका की धरती पर कदम रखा जूते उतार दिए। कुछ पल के लिए वे रुके, ज़मीन की मिट्टी उठाई और उसे छू लिया। यह दृश्य किसी राजनीतिक इवेंट की स्क्रिप्ट जैसा था जिससे जनता को संदेश जाए कि तारिक चुनाव में विकल्प है। BNP के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ करीब एक लाख कार्यकर्ता एयरपोर्ट और 300 फीट रोड पर पहले से मौजूद थे किसी के हाथ में पार्टी का झंडा था तो कोई खालिदा जिया की तस्वीर थामे खड़ा रहा।
तारिक रहमान 2008 में भ्रष्टाचार के मामलों के बीच देश छोड़कर लंदन चले गए थे. उस वक्त शेख हसीना की सरकार सत्ता में थी और BNP लगातार दबाव में थी। लेकिन अब अवामी लीग पर प्रतिबंध है देश में अंतरिम सरकार है और 12 फरवरी 2026 को आम चुनाव तय हैं। इसी माहौल में तारिक की वापसी को सिर्फ घर लौटना कहना शायद कम होगा।
खालिदा जिया की सेहत और नेतृत्व की जिम्मेदारी
BNP प्रमुख खालिदा जिया 80 वर्ष की हैं और गंभीर रूप से बीमार हैं, वे फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं पार्टी के भीतर यह चर्चा अब खुलकर होने लगी है कि चुनाव की अगुवाई तारिक रहमान ही करेंगे। BNP ने साफ कर दिया है कि तारिक बोगुरा-6 सीट से चुनाव लड़ेंगे.वही सीट जहां से कभी खालिदा जिया सांसद रही थीं।
चुनावी मैदान में चुनौती कौन देगा?
अवामी लीग के बाहर होने के बाद BNP सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरी है लेकिन मुकाबला पूरी तरह एकतरफा नहीं है। नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) जो छात्र आंदोलन से निकली, जमात-ए-इस्लामी जिसका बैन हट चुका है हालांकि अब तक के आंकड़े बताते हैं कि जमात अकेले दम पर सत्ता तक पहुंचने की स्थिति में नहीं है अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का मानना है कि अगर तारिक रहमान सत्ता में आते हैं, तो भारत-बांग्लादेश संबंधों में नई चुनौतियाँ आ सकती हैं।