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जम्मू-कश्मीर में हुए परिसीमन पर पाकिस्तान का हस्तक्षेप, भारत ने बताया हास्यास्पद

कहा - पाकिस्तान के पास अवैध और जबरन कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों सहित हमारे आंतरिक मामलों में निर्णय लेने या हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

Update: 2022-05-17 10:54 GMT

नई दिल्ली/वेब डेस्क। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को पाकिस्तान की संसद में जम्मू-कश्मीर के परिसीमन के खिलाफ पारित प्रस्ताव को 'हास्यास्पद' करार दिया है। पाकिस्तान की संसद में 12 मई को एक प्रस्ताव पारित किया गया था। इसमें जम्मू-कश्मीर में परिसीमन से जुड़ी रिपोर्ट को खारिज किया गया था। प्रस्ताव में कहा गया था कि इसका मकसद मुस्लिम बहुल क्षेत्र में समुदाय को अल्पसंख्यक बनाना है। इसका उद्देश्य कश्मीरी लोगों को मताधिकार से वंचित करना, शक्तिहीन करना और हाशिये पर धकेलना है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "हम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में परिसीमन अभ्यास के विषय पर पाकिस्तान की संसद द्वारा पारित हास्यास्पद प्रस्ताव को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं। पाकिस्तान के पास अवैध और जबरन कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों सहित हमारे आंतरिक मामलों में निर्णय लेने या हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।" 

बागची ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा। जम्मू-कश्मीर में परिसीमन अभ्यास व्यापक हितधारक परामर्श और भागीदारी के सिद्धांतों पर आधारित एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि यह खेद की बात है कि पाकिस्तानी नेतृत्व अपने घर को व्यवस्थित करने के बजाय भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है और आधारहीन तथा भारत विरोधी प्रचार कर रहा है।


प्रवक्ता ने कहा कि हम दोहराते हैं कि पाकिस्तान को तत्काल भारत विरोधी सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करना चाहिए और आतंकवाद के अपने बुनियादी ढांचे को बंद करना चाहिए। पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले जम्मू- कश्मीर और लद्दाख में गंभीर और लगातार जारी मानवाधिकारों के उल्लंघन पर रोक लगानी चाहिए। इस क्षेत्र में यथास्थिति में बदलवा करने से बचना चाहिए और उन भारतीय क्षेत्रों को खाली करना चाहिए जिसे उसने अवैध और जबरन कब्जे रखा है। 

उल्लेखनीय है कि हाल ही में जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हुई है। इसके बाद जम्मू-कश्मीर की कुल विधानसभा सीटों को 83 से बढ़ाकर 90 किया गया है। इसमें जम्मू क्षेत्र में छह और कश्मीर में एक सीट का इजाफा किया गया है। अब जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटें होंगी। इसके अलावा 9 सीटें अनुसूचित जनजाति और 7 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई हैं।

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