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अमेरिकी उप राष्ट्रपति के लिए भारतीय मूल की कमला उम्मीदवार

Update: 2020-08-12 07:45 GMT

नई दिल्ली | भारतीय मूल की कमला हैरिस ने उपराष्ट्रपति पद के लिए टिकट हासिल कर इतिहास रच दिया है। अमेरिकी चुनाव में डमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन ने मंगलवार (स्थानीय समयानुसार) को कैलिफोर्निया सीनेटर कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। उपराष्ट्रपति पद की टिकट पाने वालीं कमला हैरिस पहली एशियाई-अमेरिकी हैं।

कमला हैरिस भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं। उनकी मां श्यामा गोपालन हैरिस का जन्म चेन्नई में हुआ था और वह एक कैंसर शोधकर्ता थीं, जिनका 2009 में निधन हो गया और उनके पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के रहने वाले हैं, जो फिलहाल स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। जब हैरिस और उनकी छोटी बहन माया हैरिस बहुत छोटी थीं, तब उनके माता-पिता अलग हो गए थे।

हैरिस अब उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी करने वालीं भारतीय और एशियाई मूल की पहली अमेरिकी हैं। वह डेमोक्रेट गेराल्डाइन फेरारो और रिपब्लिकन सारा पॉलिन के बाद एक प्रमुख पार्टी की पहली अफ्रीकी अमेरिकी और उस पद के लिए उम्मीदवारी करने वालीं तीसरी महिला भी हैं।

कमला हैरिस ऑकलैंड में पली-बढ़ी हैं। उन्होंने हावर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री ली है। इसके बाद कमला ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है। हैरिस सैन फ्रांसिस्को में जिला अटॉर्नी के रूप में भी काम कर चुकी हैं। वह 2003 में सैन फ्रांसिस्को की जिला वकील बनी थीं।

हैरिस ने साल 2017 में कैलिफोर्निया से संयुक्त राज्य सीनेटर के रूप में शपथ ली थीं। वो ऐसा करने वाली दूसरी अश्वेत महिला थीं। उन्होंने होमलैंड सिक्योरिटी एंड गवर्नमेंट अफेयर्स कमेटी, इंटेलिजेंस पर सेलेक्ट कमेटी, ज्यूडिशियरी कमेटी और बजट कमेटी में भी काम किया। हालांकि, पिछले साल तक कमला हैरिस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की रेस में थीं, मगर समर्थन नहीं मिल पाने की वजह से इस रेस से बाहर हो गई थीं।

जो बाइडेन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'ये बताते हुए मुझे गर्व हो रहा है कि कमला हैरिस को मैंने अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना है।' बाइडेन ने कमला को एक बहादुर योद्धा और अमेरिका के सबसे बेहतरीन नौकरशाहों में से एक बताया।

उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, 'जब कमला हैरिस कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल थीं तब से मैंने उनको काम करते हुए देखा है। मैंने खुद देखा है कि उन्होंने कैसे बड़े-बड़े बैंकों को चुनौती दी, काम करने वाले लोगों की मदद की और महिलाओं-बच्चों को शोषण से बचाया। मैं उस समय भी गर्व महसूस करता था और आज भी गर्व महसूस कर रहा हूं जब वो इस अभियान में मेरी सहयोगी होंगी।'

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