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पाकिस्तानी अखबारों सेः पार्लियामेंट हाउस में पहुंचा कोरोना, दो हफ्तों के लिए बंद

Update: 2020-12-03 12:34 GMT

स्वदेश वेब डेस्क। पाकिस्तान से प्रकाशित होने वाले अधिकांश अखबारों ने आज पाकिस्तान में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए पार्लियामेंट हाउस को दो हफ्तों के लिए बंद करने के फैसले को अहमियत से प्रकाशित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीनेट और नेशनल असेंबली के 70 फीसद कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं और उनको घरों में ही आइसोलेट करके इलाज किया जा रहा है।

इसके साथ ही अखबारों ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जफरुल्लाह खान जमाली के निधन की खबर प्रकाशित की है। अखबारों ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को इश्तेहारी मुजरिम करार दिए जाने, उनका जमानती मुचलका रद्द किए जाने, और सभी जमानत लेने वालों को 8 दिसंबर को अगली तारीख पर अदालत में उपस्थित होने की खबर को खासा महत्व दिया गया है।

अखबारों ने प्रधानमंत्री इमरान खान के गिलगित बाल्टिस्तान सूबे को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और नवाज शरीफ व आसिफ जरदारी के ऊपर अल्लाह का अज़ाब नाजिल होने के बयान को भी छापा है। इसके अलावा अखबारों ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के उस बयान को भी ख़ास तौर पर दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत-पाकिस्तान दोनों एटमी पावर है और भारत जम्मू-कश्मीर सीमा पर समझौतों का लगातार उल्लघंन किया जा रहा है। विश्व की ताकतों को इस तरफ़ ध्यान देना चाहिए। यह सभी खबरें रोजनामा जिन्नाह, रोजनामा नवाएवक्त, रोजनामा पाकिस्तान, रोजनामा जंग ने अपने प्रथम पृष्ठ पर दी हैं।

रोजनामा नवाएवक्त ने कश्मीर न्यूज़ सर्विस के हवाले से खबर प्रकाशित की है कि जम्मू-कश्मीर में कुछ अजनबियों ने एक फौजी कैंप पर देशी बमों से हमला किया। साथ ही 24 साल के एक नौजवान के ऊपर हथियारों से लैस अज्ञात व्यक्ति ने गोली चला दी। इसकी वजह से वह घायल हो गया है। अखबार ने जम्मू-कश्मीर में भारत के सभी राज्यों में रहने वाले लोगों के जरिए जमीन खरीदे जाने की इजाजत देने वाले कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने की खबर भी दी है। अखबार ने तालिबान और अफगान सरकार के साथ होने वाली बातचीत से पहले समझौते के करीब पहुंचने की खबर देते हुए पाकिस्तान सरकार की खुशी का इजहार करने वाली खबर दी है।

रोजनामा पाकिस्तान ने जमीयत उलेमा-ए-इसलाम और पीडीएम के अध्यक्ष मौलाना फजलुर्रहमान का बयान प्रकाशित किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि वह नेब को नहीं मानते तो उसके नोटिस को कैसे अहमियत देंगे। अखबार ने कहा है कि हुकूमत के इशारे पर विपक्षी दलों के नेताओं पर शिकंजा कसने के लिए इस तरह के नोटिस भेजे जा रहे हैं।

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