दीपावली की रोशनी से पूरी दुनिया रोशन होगी: यूनेस्को ने अमूर्त विश्व धरोहर घोषित किया
यूनेस्को ने दिवाली को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया। पीएम मोदी बोले दिवाली हमारी सभ्यता की आत्मा। भारत की 15 धरोहरें इस सूची में।
यूनेस्को ने दिवाली को आधिकारिक रूप से अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage) की सूची में शामिल कर लिया है। यह फैसला बुधवार को तब आया, जब संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन ने अपनी नई सूची जारी की। दिवाली के साथ घाना, जॉर्जिया, कांगो, इथियोपिया और मिस्र समेत कई देशों की सांस्कृतिक परंपराएँ भी इस वैश्विक सूची का हिस्सा बनी हैं।
भारत के लिए बड़ा सांस्कृतिक क्षण
दिवाली के शामिल होने के बाद भारत की कुल 15 अमूर्त विश्व धरोहरें इस सूची में दर्ज हो चुकी हैं। सूची में पहले से दुर्गा पूजा, कुंभ मेला, वैदिक मंत्रोच्चार, रामलीला , छाऊ नृत्य जैसी परंपराएं शामिल हैं। यूनेस्को की यह लिस्ट उन सांस्कृतिक परंपराओं को सुरक्षित रखने के लिए बनाई गई है, जिन्हें भौतिक रूप में छुआ नहीं जा सकता, लेकिन उनका अनुभव और महत्व पीढ़ियों तक बना रहता है।
दिल्ली में चल रही बैठक के दौरान हुआ फैसला
यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब दिल्ली UNESCO की Intergovernmental Committee for Intangible Cultural Heritage की 20वीं बैठक की मेजबानी कर रहा है। यह बैठक 8 से 13 दिसंबर तक चल रही है। इसी मौके को देखते हुए केंद्र सरकार ने 10 दिसंबर को विशेष दीपावली समारोह आयोजित करने का फैसला किया है, ताकि दुनिया के सामने भारत की सांस्कृतिक पहचान और दिवाली की वैश्विक महत्ता को बेहतर तरीके से प्रदर्शित किया जा सके।
पीएम मोदी ने कहा ‘दिवाली संस्कृति और प्रकृति का संगम’
दिवाली को यूनेस्को सूची में शामिल किए जाने पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर लिखा
भारत और दुनिया भर के लोग उत्साहित हैं। दिवाली संस्कृति और प्रकृति दोनों से जुड़ी है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह ज्ञान और धर्म का प्रतीक है। यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल होने से इसकी वैश्विक लोकप्रियता और बढ़ेगी। प्रभु श्रीराम के आदर्श हम सभी का मार्गदर्शन करते रहें।
दिवाली को क्यों मिली विशेष मान्यता?
यूनेस्को विशेषज्ञों के अनुसार दिवाली समावेशिता,सामाजिक एकता और सांस्कृतिक मूल्यों को दुनिया भर में मजबूत करती है। आज दिवाली सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, कनाडा और मध्य-पूर्व के देशों में भी बड़े पैमाने पर मनाई जाती है। यही वैश्विक प्रभाव इसे विश्व-धरोहर सूची का मजबूत उम्मीदवार बनाता है।
दिवाली की रोशनी अब दुनिया की साझा सांस्कृतिक संपत्ति
दिवाली का इस सूची में शामिल होना एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उपलब्धि माना जा रहा है। भारत की जीवंत परंपराओं में से एक यह त्योहार अब आधिकारिक रूप से “विश्व की साझा सांस्कृतिक धरोहर” बन गया है—एक ऐसी मान्यता जो आने वाली पीढ़ियों तक इसकी पहचान और संरक्षण सुनिश्चित करेगी।