अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत की मजबूत उड़ान

Update: 2025-12-29 05:11 GMT

2026 में भी निर्यात की रफ्तार बरकरार रहने की उम्मीद

साल 2025 भारत के निर्यातकों के लिए चुनौतियों भरा रहा। अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर करीब 50 प्रतिशत तक ऊंचे टैरिफ लगाए। इसके बावजूद भारत का निर्यात डगमगाया नहीं। नए बाजारों की तलाश, उत्पादों में विविधता और सरकारी समर्थन की मदद से निर्यात ने संतुलन बनाए रखा। संकेत साफ हैं कि यह गति 2026 में भी जारी रह सकती है।

वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, व्यापार पानी की तरह होता है, वह अपना रास्ता खुद खोज लेता है। यही बात भारत के निर्यात पर सटीक बैठती है. कोविड-19 महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, इज़राइल-हामास संघर्ष, रेड सी संकट, सेमीकंडक्टर की कमी और अब अमेरिकी टैरिफ इन सभी झटकों के बावजूद भारतीय निर्यात ने खुद को संभाला है।

वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के अनुसार, 2024-25 में भारत के वस्तु और सेवा निर्यात ने 825.25 अरब डॉलर का ऐतिहासिक स्तर छुआ, जो साल-दर-साल छह प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त है। मौजूदा वित्त वर्ष (अप्रैल-नवंबर 2025) में भी निर्यात 562 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। यह वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की मजबूती को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा रुझानों को देखते हुए 2026 में भी निर्यात में अच्छी वृद्धि की उम्मीद है।

एक नजर में आंकड़

2020 में भारत का माल निर्यात 276.5 अरब डॉलर था।

यह 2021 में बढ़कर 395.5 अरब डॉलर और 2022 में 453.3 अरब डॉलर तक पहुंचा।

2023 में गिरावट आई और निर्यात 389.5 अरब डॉलर रहा।

2024 में फिर उछाल आया और यह 443 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

2025 में जनवरी से नवंबर तक निर्यात 407 अरब डॉलर हो चुका है।

नवंबर में अमेरिका को निर्यात 22.61 प्रतिशत बढ़कर 6.98 अरब डॉलर पहुंच गया। यह दर्शाता है कि भारतीय निर्यातक हालात के अनुसार खुद को ढाल रहे हैं।

वैश्विक हालात और चुनौतियां

वैश्विक हालात को लेकर चिंता बनी हुई है। विश्व व्यापार संगठन (WTO) का अनुमान है कि 2025 में वैश्विक व्यापार 2.4 प्रतिशत बढ़ेगा, लेकिन 2026 के लिए अनुमान घटकर केवल 0.5 प्रतिशत रह गया है। WTO के अनुसार, ऊंचे टैरिफ, नीतिगत अनिश्चितता, विकसित देशों में मांग में कमजोरी और रोजगार व आय की धीमी वृद्धि से व्यापार पर दबाव पड़ सकता है।

भारत सरकार का आशावादी रुख

इसके बावजूद भारत सरकार आशावादी है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं:

25,060 करोड़ रुपये का निर्यात प्रोत्साहन मिशन

20,000 करोड़ रुपये तक अतिरिक्त बिना गारंटी वाला ऋण

निर्यात ऋण पर मोरेटोरियम और अवधि में राहत

मुक्त व्यापार समझौतों का बेहतर इस्तेमाल

ये उपाय निर्यातकों को मुश्किल हालात में भी मजबूती से व्यापार करने में मदद कर रहे हैं और 2026 में निर्यात की रफ्तार बरकरार रहने की उम्मीद को बल देते हैं।

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