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किडनी रोग: जागरूकता आवश्यक

डॉ सुखदेव माखीजा, विश्व किडनी दिवस पर विशेष

Update: 2019-03-14 11:42 GMT

उच्च रक्तचाप मधुमेह मानसिक तनाव तथा कैंसर ऐसे रोग हैं जिहें आधुनिक जीवन शैली से उत्प्रेरित माना जाता है। इनमें से उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह ऐसे रोग हैं जो अपने जटिल प्रभावों से मुख्यत: तीन टारगेट ओर्गनस किडनी, मस्तिष्क तथा हृदय को विशेष रूप से हानि पहुंचाते हैं। जन सामन्य को इस महत्वपूर्ण तथ्य के प्रति सचेत करते हुए किडनी रोगों की रोक थाम का प्रयास करना विश्व किडनी दिवस का प्रमुख वैश्विक जन अभियान है।

विश्व किडनी दिवस प्रतिवर्ष मार्च माह के दूसरे गुरूवार को मनाया जाता है। इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी तथा इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ किडनी फाउंडेशन के संयुक्त निर्देशन में इस वर्ष यह दिवस 14 मार्च 2019 को पूरे विश्व में मनाया जा रहा है। इसका प्रथम आयोजन 2006 में 66 देशों में हुआ था अब विश्व के लगभग 200 देशों में, संबंधित नेफ्रोलॉजी सोसाइटी तथा स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से इस दिवस का आयोजन किया जाता है।

किडनी से स बंधित विभिन्न रोगों से ग्रस्त हैं -

लगभग 20: रोगियों में इसका कारण आधुनिक जीवन शैली जनित व्याधियां होती हैं तथा 85: रोगी अविकसित एवं विकास शील देशों के नि न एवं नि न मध्यम श्रेणी के परिवारों से स बंधित होते हैं जिनमें किडनी रोग के मु य कारक संक्रमण एवं औद्योगिक प्रदूषण जन्य विकार होते हैं। एक स्वास्थ्य सर्वेक्षण;'सीक' स्टडी 2015" के अनुसार भारत में लगभग 17 प्रतिशत व्यक्ति किडनी रोग से पीडि़त हैं, जिनमें 6 प्रतिशत स्टेज 3 की जटिल अवस्था में है तथा प्रति दस लाख जनसं या पर लगभग 230 किडनी रोगी असाध्य अन्तिम अवस्था में है।

विश्व में लगभग 195 मिलियन (19.50 करोड़) महिलाएं क्रोनिक दीर्घकालिक किडनी रोगों से ग्रस्त हैं। महिला मृत्यु के दस प्रमुख कारणों में इस रोग का स्थान आठवां हैं। इस ग भीर जटिल रोग के कारण विश्व में प्रति वर्ष लगभग छह लाख महिलाओं की मृत्यु होती है। एशिया, अफ्रीका तथा लैटिन अमेरिका के अविकसित एवं विकासशील देशों में यह सं या अत्यधिक होती है। किडनी से संबंधित रोगों की सूची में लगभग 40 प्रतिशत कारण मोटापाजन्य रोग हैं। मोटापाग्रस्त व्यक्तियों में ''क्रोनिक किडनी डिसीज" की जटिलताओं की आशंका लगभग 80 प्रतिशत अधिक होती है।

क्रोनिक किडनी फेल्युअर एक ''साइलेंट किलर" के रूप में जाना जाता है। क्योंकि शरीर में जब तक इसके लक्षण प्रकट होते हैं तब तक दोनों किडनी की लगभग 50 प्रतिशत कार्य क्षमता नष्ट हो चुकी होती है। गुर्दे की कार्य हीनता से स बंधित यह एक दीर्घकालीन जटिल अवस्था है। इस गंभीर रोग में अधिकाँश औषधियां निष्प्रभावी हो जाती हैं। इस स्थिति में डायलिसिस अथवा किडनी अंग प्रत्यारोपण उपचार के विकल्प होते है।

विश्व में 2010 तक डायलिसिस उपचारित रोगियों की सं या लगभग 2.6 मिलियन थी जो 2020 तक लगभग दुगनी हो जायेगी।

संकलन एवं प्रस्तुति - डॉ सुखदेव माखीजा 

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