Cervical Cancer महिलाओं की मौत का बड़ा कारण, जानिए क्यों जरुरी है HPV वैक्सीन, कैसे लगवाएं ?

केंद्र सरकार ने भी सर्वाइकल कैंसर से महिलाओं के बचाव के लिए मुफ्त एचपीवी वैक्सीन का ऐलान किया है

Update: 2024-02-02 12:39 GMT

नईदिल्ली। मॉडल और अभिनेत्री पूनम पांडे का आज निधन हो गया।  वह सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित थी। जहां एक ओर पूनम पांडे के निधन से बॉलीवुड जगत में शोक की लहर है, वहीँ दूसरी ओर महिलाओं में होने वाली सर्वाइकल कैंसर की बीमारी की चर्चा तेज हो गई है।एक दिन पहले केंद्र सरकार ने भी बजट में इसका जिक्र किया था। सरकार ने 9 से 14 साल की लड़कियों के लिए मुफ्त टीकाकरण की घोषणा की है। 

आइए है की आखिर क्या है ये बीमारी - 

क्या है सर्वाइकल कैंसर - 

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के गर्भाशय में होने वाला कैंसर है। पिछले कुछ सालों में दुनिया में सर्वाइकल कैंसर के मामलों में तेजी वृद्धि हुई है। सर्वाइकल कैंसर होने का मुख्य कारण ह्यूमन पेपिलोमा वायरस है। डॉक्टर्स के अनुसार, असुरक्षित यौन संबंध इस वायरस के पनपने का मुख्य कारण है। ये गर्भाशय के नीचले हिस्से में पनपता है।सबसे पहले इसका असर इनर टिशू पर होता है और फिर यह शरीर के अन्य भागों में ये फैल जाता है।  

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण - 

  • वेजाइना से असामान्य ब्लीडिंग,
  • वेजाइना से असामान्य रूप से लिक्विड बहना,
  • वजन कम होना,
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द बने रहना 
  • मल त्याग करने में दिक्कत महसूस होना

कैंसर से मौतें - 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साल 2020 में 123,000 से ज्यादा मामले सामने आए जबकि 77,000 मौत हुईं। आईसीएमआर के आंकड़ों के अनुसार, ये भारत में महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे बड़ा कैंसर है।  यहां लगभग हर 8 मिनट में सर्वाइकल कैंसर से एक महिला की मौत हो जाती है।  

सर्वाइकल कैंसर के लिए टीकाकरण जरूरी - 

 सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए महिलाओं को रेग्युलर स्क्रीनिंग और वैक्सीनेशन कराना चाहिए। एचपीवी वैक्सीनेशन सर्वाइकल कैंसर से बचाता है। भारत में सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए दो कंपनियां गार्डासिल और जीएसके ये वैक्सीन बेचती है। ये कंपनियां देश निजी अस्पतालों में वैक्सीन उपलब्ध कराते है। जिसकी कीमत 3000 से 10,000 रूपये तक की होती है। कीमत अधिक होने के कारण गरीब लोग इसे नहीं लगवा पाते।  इसीलिए सरकार ने बजट में 9 से 14 साल की लड़कियों के लिए मुफ्त टीकाकरण की घोषणा की है।9 से 14 साल की बच्चियों को 6 महीने के अंतराल में दो डोज लगती हैं। वहीं 15 से 45 साल उम्र की महिलाओं को इस वैक्सीन की तीन डोज लगाई जाती है।

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