नए साल में हमें वीर मराठा योद्धा तानाजी मालुसरे पर फिल्म देखने को मिलेगी। फिल्म में इस ऐतिहासिक किरदार को अजय देवगन जीवित करने वाले हैं। वे ही अजय जो आंखों से अभिनय करते हैं और जख्म और हम दिल दे चुके सनम जैसी फिल्मों से अपने अभिनय की चमक दिखला चुके हैं। प्रशंसकों के लिए खुशी कि बात है कि एक्शन कॉमेडी, रोमांस के बाद यह बेजोड़ कलाकार पीरियड फिल्म तानाजी में हमें नए शेड में देखने को मिलेगा।
तानाजी द अनसंग वारियर नाम से यह फिल्म मुंबई सिनेमा के निर्माता ओम राउत द्वारा बनाई जा रही है। फिल्म निर्माता इससे पहले लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक पर केन्द्रित मराठी फिल्म बना चुके हैं इससे समझा जा सकता है कि महाराष्ट्र के इतिहास वहां के स्वतंत्रता नायकों, महान शिवाजी साम्राज्य से लेकर मराठी लोक संस्कृति व जीवन के प्रति उनकी निश्चित ही गहरी समझ है। इस फिल्म में तानाजी की पत्नी सावित्रीबाई के किरदार में अजय देवगन की वास्तविक जीवन की जीवनसाथी काजोल दिखने वाली हैं। फिल्म का हाल ही में पहला ट्रेलर जारी हुआ है और उसमें कवर पोस्टर पर परंपरागत महाराष्ट्रियन राजपरिवार की महिला के वेश में काजोल को काफी पसंद किया गया है। वे पोस्टर में गंभीर मुद्रा में तत्कालीन संघर्षों को अपने चेहरे पर लिए हुए हैं।
किसी फिल्म और उसके किरदारों की असल सफलता यही है कि उसमें कलाकार संवादों से ही नहीं बल्कि अपने बदलते हाव-भाव व मुख-मुद्रा के जरिए दर्शकों से संवाद करें। काजोल और अजय देवगन इस ऐतिहासिक फिल्म में अदाकारी से इतिहास रच देंगे ऐसी उनके प्रशंसक निश्चित ही आशा कर रहे हैं। इस फिल्म का शीर्षक ही इस फिल्म को बनाने की सार्थकता साबित करता है। तानाजी द अनसंग वारियर मतलब तानाजी एक ऐसे युद्धनायक रहे जिनकी वीरता की कहानियां देश में अभी गूंजने से वंचित रहीं हैं। बात सही है।
स्वतंत्रता के बाद इतिहास लिखने वाले कई लेखकों ने भारतीय इतिहास के योद्धाओं को जितनी कम जगह अपने विचार में जगह दे रखी थी उतनी ही कम जगह उनकी कलम दे सकी। उनके अनुराग किस विचारधारा और किस विचार को रहे हैं इस पर निश्चित ही बहस की जरुरत है मगर एक बात तय है कि देश के उन सभी महान स्वतंत्रता सेनानियों और महानायकों की अनकहीं कहानियां सामने आनी ही चाहिए जिनके नाम विचारधाराओं के बोझ के नीचे दबे रहे। तानाजी मालसुरे पर बन रही फिल्म इस तरह की कमियों को पाटने वाली फिल्म है।
भारत में ऐतिहासिक फिल्में प्रारंभ से बनती रहीं हैं उनके जरिए देश को अपने महानायकों को जानने समझने और उनकी वीरता के दृश्य दर्शन का मौका मिला है। सोहराब मोदी ने रानी लक्ष्मीबाई पर फिल्म बनाई तो 2019 में हमने कंगना रनौत की अदाकारी के जरिए महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता को देखा। इस बीच में ऐतिहासिक पात्रों को लेकर जोधा अकबर, पद्मावत, अशोका जैसी फिल्में भी बनी हैं मगर इनके जरिए कई असमंजस भी सिने दर्शकों के समक्ष पैदा कर दिए गए हैं। इनमें कई फिल्मों ने ऐतिहासिक किरदारों की मूल भावना के साथ कितनी अदला बदली की है ये निश्चित ही बहस की बात है। दर्शकों को आप मनोरंजन जमकर परोसिए मगर ऐतिहासिक किरदारों के संबंध में उनकी समझ को सही बनाए रखने की जिम्मेदारी से निर्माता निर्देशक पीछे नहीं हट सकते। निर्माता इस उद्घोषणा का हमेशा ही असीमित लाभ नहीं ले सकता कि उसके द्वारा रचनात्मक स्वतंत्रता का उपयोग कर फिल्मांकन किया गया है। अगर ऐतिहासिक किरदारों और तथ्यों पर फिल्में बनाई जाती हैं तो बहुत अच्छा होगा कि इतिहास की मूल भावना को तथ्यों से बारीकी से जांचकर प्रस्तुत किया जाए।
एक पुस्तक देश की आबादी का विचार उतना नहीं बदलती जितना कि करोड़ों दर्शकों द्वारा देखी जाने वाली ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर केन्द्रित फिल्म। रचनात्मकता एवं मनोरंजन पक्ष का स्वागत है मगर सत्य के प्रति जवाबदेही भी उतनी ही जरुरी है। खैर इस समय खुश होने का वक्त है कि देश में जल्द ही एक के बाद एक कई ऐतिहासिक किरदारों और घटनाओं पर फिल्में आनी वाली हैं। तानाजी के बाद सबसे ज्यादा चर्चा पानीपत फिल्म की हो रही है। इस फिल्म में अर्जुन कपूर के साथ कृति सेनन को हम पीरियड किरदार में देखेंगे। इस फिल्म में दोनों मुख्य कलाकारों के अभिनय को लेकर प्रशंसकों में खासा उत्साह है। अजय देवगन की खांटी अदाकारी और काजोल के समर्पित अभिनय की झलक निश्चित ही तानाजी में दिखने वाली है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि नए दौर के अर्जुन कपूर और कृति सेनन इन मंजे कलाकारों के आगे कितना ठहर पाते हैं। फिलहाल दर्शक तो दोनों फिल्मों के बेहतरीन और यादगार अभिनय की दिलों से आशा कर रहे हैं। हमारी भी इन्हीं आशाओं के साथ तानाजी और पानीपत की टीम को बहुत शुभकामनाएं।