मणिरत्नम जैसे प्रतिभावान निर्देशक ने रोजा, बॉबे जैसी सफल फिल्मं ेकैसे रचीं हम सबने देखा है। यश चोपड़ा ,सूरज बढज़ात्या से लेकर आज के दौर के संजय लीला भंसाली, गौरी शिन्दे, राजकुमार हीरानी जैसे निर्देशक अपनी फिल्म को किस तरह सफलता से रचते हैं ये उनकी फिल्मों ने सिद्ध किया है। अमोल गुप्ते भी मौजूदा दौर के प्रतिभासंपन्न निर्देशक हैं। तारे जमीं पर फिल्म में क्रियेटिव डायरेटर के रुप में उनकी काबिलियत पूरे देश ने देखी है। इस फिल्म ने मनोरंजक कहानी के जरिए स्कूली बच्चों और दिव्यांगता से पीडि़त बाल मनोविज्ञान को सुंदर कहानी के जरिए हम सबके सामने पेश किया था। अब वे साइना फिल्म के साथ हम सबके सामने हैं। साइना नेहवाल ने बैडमिंटन खेल में किस तरह शीर्ष स्थान पाया वो पूरी कहानी यह फिल्म हम सबको दिखाएगी।
आपमें से कइयों की जिज्ञासा हो सकती है कि चर्चा में आ रही साइना फिल्म को तो हम देख समझ रहे हैं, उसमें नायिका का केन्द्रीय किरदार परीणीति चोपड़ा का है मगर ये अमोल गुप्ते कौन हैं। साइना उनकी फिल्म कैसे है। तो जवाब है कि साइना उनकी फिल्म है बतौर निर्देशक। जिस तरह तारे जमीन जैसी बाल मनोविज्ञान को समझती उनकी फिल्म थी, स्टैनली का डबा उनकी फिल्म थी उसी तरह साइना निर्देशक के रुप में उनकी फिल्म है जिसमें काफी कुछ प्रेरणास्पद हो सकता है। दरअसल सिनेमा की दुनिया में मौजूदा परिपाटी नायक नायिकाओं के जरिए किसी फिल्म को पहचानने की रही है। वैसे फिल्म के पोस्टर पर निर्देशक का नाम भी रहता है, पटकथा लेखक का नाम भी दर्ज होता है मगर हम आम दर्शक छवियों को ज्यादा पसंद करते हैं। हम फिल्म में पूरी कहानी को नायक नायिकाओं के रुप में देखते हेैं। हमारे लिए फिल्म का मतलब वही है जो हमने देखा है। फिल्म के दृश्य, नायक नायिकाओं के बोले जाने वाले शद, उनके बीच के संवाद हम सब देखते सुनते हैं मगर हमने गीत संगीत और संवाद सभी को नायक नायिकाओं की अदाकारी के जरिए ही अपने मानस में उतरता पाया है।
सिनेमाघरों में बैठकर हम सब पूरी फिल्म को वही समझते हैं जो हमने पर्दे पर देखी है महसूस की है, एक तरह से उस कहानी को जिया सा महसूस किया है मगर फिल्म सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। कोई फिल्म 3 घंटे तक किस पटकथा रुपी कहानी पर आगे बढ़ेगी यह पटकथा लेखक का हुनर है। उसकी कहानी पर फिल्म उसी तरह चलती है जैसे पटरियों के उपर ट्रेन चलती है। फिल्म का निर्देशक भी फिल्म का असल सारथी होता है। पर्दे पर अभिनय की दिशा और भाव भंगिमा से लेकर फिल्म रुपी पतंग की दिशाधारा निर्देशक तय करता है। मणिरत्नम जैसे प्रतिभावान निर्देशक ने रोजा, बॉबे जैसी सफल फिल्मं ेकैसे रचीं हम सबने देखा है। यश चोपड़ा ,सूरज बढज़ात्या से लेकर आज के दौर के संजय लीला भंसाली, गौरी शिन्दे, राजकुमार हीरानी जैसे निर्देशक अपनी फिल्म को किस तरह सफलता से रचते हैं ये उनकी फिल्मों ने सिद्ध किया है।
अमोल गुप्ते भी मौजूदा दौर के प्रतिभासंपन्न निर्देशक हैं। तारे जमीं पर फिल्म में क्रियेटिव डायरेटर के रुप में उनकी काबिलियत पूरे देश ने देखी है। इस फिल्म ने मनोरंजक कहानी के जरिए स्कूली बच्चों और दिव्यांगता से पीडि़त बाल मनोविज्ञान को सुंदर कहानी के जरिए हम सबके सामने पेश किया था। अब वे साइना फिल्म के साथ हम सबके सामने हैं। साइना नेहवाल ने बैडमिंटन खेल में किस तरह शीर्ष स्थान पाया वो पूरी कहानी यह फिल्म हम सबको दिखाएगी। अमोल गुप्ते अपनी कहानी को बहुत ही गहराई से रचते हैं इसलिए मौका लगे तो साइना को देखने के बारे में जरुर सोचिएगा। महिला केन्द्रित कहानी में उन्होंने परिणीति चोपड़ा के जरिए कितना जादू पैदा किया है ये तो फिल्म को देखकर ही पता किया जा सकता है। तो साइना में परीणीति चोपड़ा की अदाकारी के साथ ही अमोल गुप्ते के निर्देशन को देखने समझने और महसूस करने की कोशिश जरुर कीजिएगा।
(विवेक पाठक, लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)