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Vodafone Idea में एक तिहाई हिस्सेदारी लेगी केंद्र सरकार, ये है...कारण

Update: 2022-01-11 08:06 GMT

नईदिल्ली। देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के करीब एक तिहाई शेयर सरकार अपने पास रखेगी। वोडाफोन आइडिया द्वारा आज स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में बताया गया है कि केंद्र सरकार कंपनी की लगभग 36 प्रतिशत हिस्सेदारी अपने पास रखेगी। कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को इस बात की भी जानकारी दी है कि उसके बोर्ड ने कंपनी के कर्जों को इक्विटी में बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। 

वोडाफोन आइडिया ने आज स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में साफ किया है कि कल यानी सोमवार को हुई कंपनी की बोर्ड मीटिंग में कंपनी के बकाए स्पेक्ट्रम ऑक्शन की किस्तों और बकाया एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) की पूरी ब्याज राशि को इक्विटी में बदलने का फैसला लिया गया है। बताया जा रहा है कि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड सरकार को बकाया ब्याज के बदले में 10 रुपये फेस वैल्यू के हिसाब से अपने शेयर जारी करेगी। आपको बता दें कि कुछ समय पहले ही सरकार के बकाये का भुगतान करने में परेशानी का सामना कर रही टेलीकॉम कंपनियों को सरकार ने इक्विटी के बदले मोरटोरियम का विकल्प दिया था। इसके तहत सरकार के पास कंपनी की हिस्सेदारी होगी। इसके साथ ही कंपनी के निदेशक मंडल में सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

बताया जा रहा है कि कंपनी के कर्जों को इक्विटी में बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के इस फैसले के परिणाम स्वरूप प्रमोटर समेत कंपनी के सभी मौजूदा शेयरधारकों की हिस्सेदारी भी प्रभावित होगी। इस हिसाब से केंद्र सरकार के पास वोडाफोन आइडिया कि करीब एक तिहाई हिस्सेदारी आ जाएगी। माना जा रहा है कि स्पेक्ट्रम ऑक्शन की बकाया किस्त और बकाया एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) की मौजूदा नेट प्रेजेंट वैल्यू (एनपीवी) करीब 16,000 करोड़ रुपये हो सकती है। हालांकि इस संबंध में अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। जानकारों के मुताबिक बकाया राशि को इक्विटी में बदलने के बाद इस कंपनी में वोडाफोन ग्रुप के पास 28.5 प्रतिशत हिस्सेदारी रह जाएगी, जबकि आदित्य बिरला ग्रुप के पास इसकी 17.8 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी।

कारोबारी जगत में इसे वोडाफोन आइडिया लिमिटेड का रेस्क्यू प्लान भी माना जा रहा है। कंपनी लंबे समय से टेलीकॉम सेक्टर में अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। 2018 में वोडाफोन ग्रुप और आदित्य बिरला ग्रुप की आइडिया कंपनी का विलय हुआ था और उसके बाद वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के नाम से इस कंपनी ने काम शुरू किया था। लेकिन रिलायंस जिओ और एयरटेल की मजबूत मौजूदगी के कारण कंपनी को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ समय में वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के कई ग्राहकों ने उसका साथ छोड़ दिया है। जिसकी वजह से कंपनी के सामने अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती भी खड़ी हो गई है।

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