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जमीन में धंस रहा गेटवे ऑफ हिमालय "जोशीमठ", 550 घरों में आई दरारें, एशिया की सबसे लंबी रोपवे बंद

Update: 2023-01-05 11:52 GMT

देहरादून।  देवभूमि उत्तराखंड में स्थित पवित्र तीर्थ क्षेत्र बद्रीनाथ धाम पहुंचने के आखिरी पड़ाव जोशीमठ में जमीन लगातार धंसक रही है। जोशीमठ को हिमालय ऑफ गेटवे के नाम से भी जाना जाता है। बद्रीनाथ, ओली, फूलों की घाटी आदि जगहों पर जाने के लिए पर्यटकों को इसी स्थान से होकर निकलना पड़ता है।. पिछले एक साल से जमीन धंसने के कारण लोग परेशा न है।  नगर पालिका क्षेत्र के 9 वार्डों में सड़कों, मकानों, होटलों और सरकारी इमारतों में 2 इंच से लेकर 1 फिट तक की दरारें देखी जा सकती है। ऐसे में 561 घरों में रह रहे लोगों पर बेघर होने का खतरा बढ़ गया है। जमीन धंसने के साथ यहां जगह-जगह से पानी निकलना शुरू हो गया है।  जिससे डरे-सहमे लोग अपना घर छोड़ कर पलायन के लिए मजबूर है। बुधवार को यहाँ से 66 परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है।  

जमीन धंसने के बाद जोशीमठ में स्थिति एशिया की सबसे लंबी रोपवे को भी बंद कर दिया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ-साथ प्रधानमंत्री कार्यालय भी पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाएं हुए है। बताया जा रहा है पीएमओ द्वारा नियुक्त एक सर्वे टीम आज रात यहां पहुंचेगी। जो क्षेत्र की स्थिति का जायजा लेगी। इससे पहले 5 सदस्यीय एक टीम यहां सर्वे कर चुकी है। इस पांच सदस्यीय टीम में जोशी मठ के नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार, एसडीएम  कुमकुम जोशी, भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ दीपक हटवाल, कार्यपालक इंजीनियर (सिंचाई) अनूप कुमार डिमरी और जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी शामिल थे। लोगों की माने तो इस टीम की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ के कई हिस्से मानव निर्मित और प्राकृतिक कारणों से डूब रहे हैं।  

जल विद्युत परियोजना को जिम्मेदार मान रहे हैं क्षेत्रवासी 


स्थानीय लोग इस भू धंसाव का कारण एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना को जिम्मेदार मान रहे हैं।  इसके अलावा कुछ लोग  हेलांग विष्णुप्रयाग बाईपास की खुदाई को धंसाव का कारण बता रहे है। हालांकि सरकार एजेंसियों के अध्ययन में यह सामने आया है कि ड्रेनेज सिस्टम न होने की वजह से ये समस्या उत्पन्न हुई है। लोगों का कहना है की 2 साल पहले इस जल विद्युत परियोजना की शुरुआत हुई थी। जिसके बाद से जमीन में दरारें पड़ने का सिलसिला शुरू हो गया। इस परियोजना के तहत जोशीमठ के नीचे जमीन में बड़ी सुरंगें खोदी जा रही है। नवंबर 2021 में भी स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन कर प्रशासन से मदद की गुहार लगाई थी।  लेकिन सरकार ने इस और ध्यान नहीं दिया।  

मशाल जुलूस निकाला - 


भू धंसाव से भयभीत नगरवासियों का आक्रोश आज भी सड़कों पर दिखा। सुबह से चक्का जाम और बाजार पूरी तरह बंद रहा। इससे औली और अन्य पर्यटन स्थलों से वापस लौट रहे पर्यटक खासे परेशान रहे। बीती रात्रि को विशाल मशाल जुलूस के बाद गुरुवार को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर चक्का जाम और बाजार बंद पूर्ण रूप से सफल रहा। जिला प्रशासन की ओर से ज्वाइंट मजिस्ट्रेट दीपक सैनी और पुलिस उपाधीक्षक प्रमोद शाह आंदोलन कर रहे लोगों से निरंतर वार्ता कर जाम खोलने का आग्रह करते रहे लेकिन आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार और संयोजक अतुल सती ने दो टूक कहा कि एनटीपीसी की परियोजना , हेलंग-मारवाड़ी बाई पास को बन्द किये जाने और प्रभावित हुए परिवारों की पुनर्वास की सम्पूर्ण व्यवस्था का लिखित आश्वासन देने के बाद ही जाम खोला जाएगा।


स्थानीय प्रशासन ने 8171748602 हेल्पलाइन नंबर जारी किया है, जिसमें कॉल करके प्रभावित लोग मदद मांग सकते हैं।

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