छत्तीसगढ़ आबकारी आरक्षक भर्ती 2025: तकनीकी गड़बड़ी ने बढ़ाई अभ्यर्थियों की मुश्किलें, सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने की ये मांग

Update: 2025-07-03 18:45 GMT

Brijmohan Agrawal Letter: रायपुर। छत्तीसगढ़ में आबकारी आरक्षक भर्ती परीक्षा 2025 की प्रक्रिया ने इस बार तकनीकी समस्याओं के कारण कई युवाओं को परेशानी में डाल दिया है। 4 जून से 27 जून 2025 तक चली ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के दौरान, कई अभ्यर्थियों ने समय पर परीक्षा शुल्क जमा किया, लेकिन व्यापम के सर्वर में खराबी के कारण उनके आवेदन फॉर्म जमा नहीं हो सके। इस स्थिति ने न केवल अभ्यर्थियों की मेहनत पर पानी फेर दिया, बल्कि उनके भविष्य को लेकर भी अनिश्चितता पैदा कर दी है।

व्यापम की उदासीनता ने बढ़ाया गुस्सा

जब तकनीकी गड़बड़ियों से परेशान अभ्यर्थी व्यापम कार्यालय पहुंचे, तो उन्हें कोई ठोस जवाब या समाधान नहीं मिला। कार्यालय के इस रवैये से अभ्यर्थियों में निराशा और आक्रोश बढ़ता गया। कई युवाओं ने अपनी शिकायतें दर्ज कीं, लेकिन व्यापम की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया न मिलने से मामला और गंभीर हो गया। इस स्थिति ने अभ्यर्थियों को रायपुर के सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल से संपर्क करने के लिए मजबूर किया।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल का कड़ा रुख

अभ्यर्थियों की परेशानियों को सुनने के बाद, सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने व्यापम अध्यक्ष रेणु पिल्लई को एक पत्र लिखकर इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने पत्र में स्पष्ट किया कि जिन अभ्यर्थियों ने समय पर शुल्क जमा किया, उन्हें तकनीकी खराबी के कारण परीक्षा से वंचित करना घोर अन्याय होगा। उन्होंने व्यापम को सुझाव दिया कि ऐसे अभ्यर्थियों को एक-दो दिन का अतिरिक्त समय देकर ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन जमा करने की सुविधा प्रदान की जाए। सांसद ने यह भी चेतावनी दी कि युवाओं के भविष्य के साथ किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

पारदर्शिता और तकनीकी व्यवस्था पर सवाल

यह घटना छत्तीसगढ़ में भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता और तकनीकी व्यवस्था की खामियों को एक बार फिर उजागर करती है। व्यापम की ओर से बार-बार होने वाली ऐसी गड़बड़ियां अभ्यर्थियों के बीच अविश्वास को बढ़ा रही हैं। युवा उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार व्यापम इस मामले को गंभीरता से लेगा और एक पारदर्शी समाधान निकालेगा।

बेरोजगारी और तकनीकी खामियों का दंश

छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की समस्या पहले से ही गंभीर है, और इस तरह की तकनीकी खामियां अभ्यर्थियों के लिए दोहरी मार साबित हो रही हैं। युवाओं में व्यापम के रवैये को लेकर गुस्सा और बेचैनी साफ दिखाई दे रही है। कई अभ्यर्थियों का मानना है कि सांसद बृजमोहन अग्रवाल की पहल से उन्हें न्याय मिल सकता है।

व्यापम के फैसले पर टिकी नजरें

अब सभी की नजरें व्यापम के अगले कदम पर टिकी हैं। सांसद बृजमोहन अग्रवाल की चेतावनी के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि व्यापम इस मामले में क्या रुख अपनाता है। क्या प्रभावित अभ्यर्थियों को न्याय मिलेगा, या यह मामला भी अन्य प्रशासनिक लापरवाहियों की तरह दब जाएगा? इसका जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा।




 


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