राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी वर्ष: अंचल में पहला हिन्दू सम्मेलन, राष्ट्र सेवा और एकता का संदेश

Update: 2025-12-15 05:54 GMT

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर अंचल के पटेवा मंडल के ग्राम जोगीडीपा स्थित सिद्धनाथ मंदिर परिसर में पहला हिन्दू सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में प्रमुख वक्ता डॉ. ओमप्रकाश शर्मा, प्रान्त सह बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, ने संघ की स्थापना, उसकी राह में आने वाली चुनौतियों और राष्ट्र सेवा में योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला।

संघ की स्थापना और उद्देश्य

डॉ. शर्मा ने बताया कि जब भारत परतंत्र था, तब अंग्रेजों और अन्य विधर्मियों ने हिन्दुओं को विभाजित करने और देशभक्ति की भावना को कमजोर करने का प्रयास किया। ऐसे समय में 1925 में विजयादशमी के अवसर पर डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार द्वारा नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की गई। उन्होंने संघ की राह में आने वाले प्रतिबंधों और चुनौतियों का भी उल्लेख किया।

हिन्दू समाज और एकता का संदेश

सम्मेलन में विशेष अतिथि सरला कोसरिया, सामाजिक कार्यकर्ता, ने हिन्दू धर्म और संस्कृति पर अपने विचार साझा किए। उनका कहना था कि श्रेष्ठ गुणों को धारण करने वाला ही हिन्दू कहलाता है और हिन्दुओं में जाति नहीं होती। हिन्दुओं का विभाजन कर्म और कार्यों के आधार पर होता है, न कि जन्म या वर्ग के आधार पर।

सम्मेलन में शामिल प्रमुख उपस्थितजन

सम्मेलन में विभाग धर्म जागरण प्रमुख विपिन शर्मा, विभाग प्रचारक ठाकुर राम, जिला बौद्धिक शिक्षण प्रमुख विवेक दीक्षित, खण्ड कार्यवाह चन्दन डडसेना, प्रेम शंकर, जिला महाविद्यालय प्रमुख गुलाब ठाकुर, सहित कई अन्य प्रमुख उपस्थित रहे। संचालन का कार्य खंड सह बौद्धिक शिक्षण प्रमुख राधेश्याम सोनी और धन्यवाद ज्ञापन जिला धर्म जागरण प्रमुख त्रिलोक शर्मा ने किया।

सम्मेलन का समापन

अंचल में पहली बार आयोजित इस हिन्दू सम्मेलन के अंत में भोजन प्रसादी और रुद्राक्ष वितरण किया गया। सम्मेलन का उद्देश्य न केवल संघ की उपलब्धियों को याद करना बल्कि हिन्दू समाज में एकता, समरसता और राष्ट्र सेवा की भावना को बढ़ावा देना था।

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