देश का पहला रक्षक पाठ्यक्रम, अब छात्रों को मिलेगा बाल अधिकार और संरक्षण का प्रशिक्षण
छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग ने छह विश्वविद्यालयों के साथ किया एमओयू
रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के छह विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू किया है। यह एमओयू बुधवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति में मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में संपन्न हुआ।एमओयू के तहत ‘रक्षक पाठ्यक्रम’ चलाया जाएगा, जिसके माध्यम से अब छात्रों को बाल अधिकार और संरक्षण की जानकारी प्राप्त होगी। यह पाठ्यक्रम देश में अपने तरह का पहला शैक्षणिक नवाचार है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि रक्षक पाठ्यक्रम छात्रों के सुरक्षित और जिम्मेदार भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि यह पाठ्यक्रम युवाओं को न केवल रोजगार के अवसर प्रदान करेगा, बल्कि बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में आवश्यक विशेषज्ञता भी विकसित करेगा।
महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े ने कहा कि बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है। बच्चों से भिक्षावृत्ति कराना, परित्यक्त बच्चों का पुनर्वास और संवेदनशील मामलों का समाधान ये सभी अत्यंत चुनौतीपूर्ण विषय हैं। उन्होंने कहा कि कई बार बच्चे भूलवश या भ्रमित होकर गलत दिशा में चले जाते हैं क्योंकि वे अबोध होते हैं। ऐसे बच्चों को सही मार्ग पर लाना हम सभी का सामूहिक दायित्व है।
मुख्यमंत्री साय ने रक्षक पाठ्यक्रम को रिकार्ड समय में तैयार करने और इसे विश्वविद्यालयों में लागू करने के लिए आयोग की अध्यक्ष डा. वर्णिका शर्मा और उनकी पूरी टीम को बधाई दी।
पाठ्यक्रम कहां शुरू होगा
यह एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा इन चाइल्ड राइट्स एंड प्रोटेक्शन पाठ्यक्रम निम्न विश्वविद्यालयों में प्रारंभ होगा:
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय
संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय, सरगुजा
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय
आजनेय विश्वविद्यालय
एमिटी विश्वविद्यालय
श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई-दुर्ग
उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा ने पाठ्यक्रम को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है और राज्य को इस क्षेत्र में अग्रणी बनाएगा।
रक्षक पाठ्यक्रम क्या है
प्रदेश के किसी भी विश्वविद्यालय में पहले ऐसा पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं था, जो युवाओं को बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में प्रशिक्षित करते हुए रोजगार के अवसर प्रदान करता हो। इस आवश्यकता को देखते हुए आयोग ने रक्षक बाल अधिकार संरक्षण पर एक वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम विकसित किया है।
इस पाठ्यक्रम से छात्रों को निम्नलिखित जानकारी और प्रशिक्षण मिलेगा
सैद्धांतिक और विधिक ज्ञान
विभागीय योजनाओं, संस्थाओं और प्रायोगिक कार्यों की गहरी समझ
बाल संरक्षण इकाइयों के कामकाज की जानकारी
संवेदनशीलता, जागरूकता और बाल अधिकारों की वास्तविक समझ
यह पाठ्यक्रम युवाओं को इस क्षेत्र में कुशल, समर्पित और प्रभावी मानव संसाधन के रूप में तैयार करेगा। आयोग विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम के संचालन, प्रशिक्षण, परामर्श और मार्गदर्शन की सुविधा निशुल्क प्रदान करेगा।