रायपुर में कचरे से बनेगी बायो गैस: 100 करोड़ की परियोजना शुरू, सरकार को हर साल मिलेगा 1 करोड़ GST

Update: 2025-06-13 19:15 GMT

Bio gas of Raipur Mission : छत्तीसगढ़। रायपुर अब कचरे को खजाने में बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। शहर में कचरे से कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) बनाने के लिए एक अत्याधुनिक संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना में 100 करोड़ रुपये का निवेश होगा, और इससे हर साल सरकार को लगभग 1 करोड़ रुपये का जीएसटी प्राप्त होगा।

इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए रायपुर नगर पालिका निगम, छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल डेवलपमेंट अथॉरिटी (सीबीडीए), और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने एक समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस मौके पर रायपुर कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह, सीबीडीए के सीईओ सुमित सरकार, बीपीसीएल के बायोफ्यूल प्रमुख अनिल कुमार पी., और नगर निगम आयुक्त विश्वदीप उपस्थित थे।

रायपुर के रावाभाठा क्षेत्र में स्थापित होने वाला यह संयंत्र प्रतिदिन 100 से 150 टन मिश्रित ठोस कचरे (एमएसडब्ल्यू) को प्रोसेस करेगा। इस प्रोजेक्ट की नींव 13 मार्च 2024 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री अरुण साव की मौजूदगी में रखी गई थी। बीपीसीएल इस संयंत्र के निर्माण और संचालन के लिए 100 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।

यह परियोजना न केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखेगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी। अनुमान है कि इस संयंत्र से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 30,000 मानव दिवस का स्थायी रोजगार मिलेगा, और निर्माण के दौरान भी स्थानीय लोगों को काम के कई अवसर प्राप्त होंगे।

इस संयंत्र में उत्पादित बायो गैस का उपयोग शहर की बसों और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों में किया जाएगा। इससे न केवल ईंधन की बचत होगी, बल्कि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी कम होगा, जिससे पर्यावरण को लाभ होगा। साथ ही, संयंत्र से प्राप्त जैविक खाद से छत्तीसगढ़ में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।

क्या है कम्प्रेस्ड बायो गैस ?

सीबीजी एक पर्यावरण-अनुकूल ईंधन है, जो बायोमास जैसे कृषि अपशिष्ट, गोबर, नगर निगम कचरा, और सीवेज अपशिष्ट से बनाया जाता है। यह अनॉक्सिक प्रक्रिया के माध्यम से तैयार होता है और इसमें 90% तक मीथेन होता है। बायो गैस से कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प, और हाइड्रोजन सल्फाइड हटाकर इसे कम्प्रेस किया जाता है। यह गैस वाहनों, खाना पकाने, और अन्य कार्यों के लिए उपयोगी है। यह परियोजना रायपुर को स्वच्छ, हरित, और समृद्ध बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल कचरे का प्रबंधन करेगी, बल्कि ऊर्जा, रोजगार, और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी नई संभावनाएं खोलेगी। 


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