Surendra Dubey Last Rites: पंचतत्व में विलीन हुए छत्तीसगढ़ के ब्लैक डायमंड, कुमार विश्वास बोले- प्रदेश के लिए यह बहुत बड़ी क्षति

Surendra Dubey Last Rites
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Surendra Dubey Last Rites 

Surendra Dubey Last Rites : रायपुर। अंतर्राष्ट्रीय हास्य व्यंग्य के पद्मश्री कवि डॉ सुरेंद्र दुबे पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। उनका अंतिम संस्कार रायपुर के अशोका रत्न मुक्तिधाम में किया गया है। कवि डॉ सुरेंद्र दुबे के बेटे अभिषेक दुबे अपने पिता को मुखाग्नि दी। मारवाड़ी मुक्ति धाम में गृहमंत्री विजय शर्मा, रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल, कवि कुमार विश्वास भी अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में शामिल हुए। कवि कुमार विश्वास ने सुरेंद्र दुबे के निधन को प्रदेश के लिए बहुत बड़ी क्षति बताया है।

डॉ. कुमार विश्वास ने बताया कि सुरेंद्र दुबे से उनकी पहली मुलाकात 35 साल पहले 1991 में एक कार्यक्रम में हुई थी। मैने देखा कि कैसे उन्होंने परिश्रम कर बेमेतरा से दुर्ग और फिर दुर्ग से रायपुर आए और अपनी प्रतिष्ठा बनाई। यह बहुत हृदयविदारक है, परसों ही मेरी उनके स्वास्थ्य को लेकर बात हुई थी।

उन्होंने आगे कहा कि, मुझे आशु ने बताया था कि चाचा सब ठीक है, दो-तीन दिन में छुट्टी मिल जाएगी। सुरेंद्र दुबे का जाना छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी क्षति है। मैने उनके साथ अमेरिका, दुबई, शाहजहा और लंदन में कार्यक्रम किया है।

बता दें कि, गुरुवार, 26 जून 2025 को अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य और सांस्कृतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय देर रात गुरुवार को ही डॉ. सुरेंद्र दुबे के रायपुर स्थित अशोका रत्न निवास पर पहुंचे। उन्होंने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, धमतरी नगर निगम के महापौर रामू रोहरा सहित कई जनप्रतिनिधि और गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। सीएम ने शोक-संतप्त परिजनों से मुलाकात कर अपनी गहरी संवेदना प्रकट की।

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''जिंदा रहना है भारत में तो मर्यादा बहुत जरूरी है, पाँच अगस्त का सूरज राघव को लाने वाला है, राम भक्त जयघोष करो मंदिर बनने वाला है'' ये जोशीली और भक्तिमय पंक्तियाँ छत्तीसगढ़ के ‘ब्लैक डायमंड’ और पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे की कलम से निकली हैं। इन पंक्तियों में भक्ति, उत्साह और मर्यादा का ऐसा संगम है कि सुनने वाला झूम उठता है।

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