Surendra Dubey Last Rites: पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे का आज अंतिम संस्कार, रायपुर के मारवाड़ी श्मशान घाट में अंतिम विदाई

Padma Shri Dr. Surendra Dubey Last Rites : रायपुर। छत्तीसगढ़ी और हिंदी साहित्य जगत के प्रख्यात हास्य कवि, पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे का आज, 27 जून 2025 को रायपुर के मारवाड़ी श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया जाएगा। सुबह 10:30 बजे से अंत्येष्टि कार्यक्रम शुरू होगा, जिसके बाद उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी।
बता दें कि, गुरुवार, 26 जून 2025 को अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान हार्ट अटैक के कारण उनका निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य और सांस्कृतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
गुरुवार देर रात को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय डॉ. सुरेंद्र दुबे के रायपुर स्थित अशोका रत्न निवास पर पहुंचे। उन्होंने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, धमतरी नगर निगम के महापौर रामू रोहरा सहित कई जनप्रतिनिधि और गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। सीएम ने शोक-संतप्त परिजनों से मुलाकात कर अपनी गहरी संवेदना प्रकट की।
मुख्यमंत्री साय ने कहा, “पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे ने अपनी हास्य-व्यंग्य कविताओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ का नाम देश और दुनिया में रोशन किया। उनकी कमी की पूर्ति संभव नहीं है। मैं प्रभु श्री राम से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूँ।” उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने सोशल मीडिया पर लिखा, “सुरेंद्र जी ने जीवन भर हंसी और प्रेरणा बांटी, लेकिन आज उनकी विदाई ने हमारी आंखें नम कर दीं। उनकी रचनाएं हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी।”
गंजपारा में जन्में थे डॉ. सुरेंद्र दुबे
डॉ. सुरेंद्र दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा शहर के गंजपारा में हुआ था। उन्होंने बेमेतरा में ही अपनी शिक्षा पूरी की और स्थानीय रामलीला मंच से कला के क्षेत्र में कदम रखा। पेशे से आयुर्वेदाचार्य होने के बावजूद, उन्होंने हास्य और व्यंग्य कविता के माध्यम से अपनी पहचान बनाई। उनकी रचनाएं सामाजिक विसंगतियों पर हास्य के साथ गहरे संदेश देती थीं, जो उन्हें मंचों और टेलीविजन कार्यक्रमों में बेहद लोकप्रिय बनाती थीं।
उन्होंने मिथक मंथन, दो पांव का आदमी, और सवाल ही सवाल है सहित पांच पुस्तकें लिखीं। उनकी कविताओं पर तीन विश्वविद्यालयों में पीएचडी शोध हुए, जो उनकी साहित्यिक गहराई को दर्शाता है। डॉ. दुबे ने देश-विदेश में सैकड़ों कवि सम्मेलनों में हिस्सा लिया और अमेरिका, कनाडा, मॉरीशस जैसे देशों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति का परचम लहराया। उनकी ठेठ छत्तीसगढ़ी शैली और जीवंत प्रस्तुति ने लाखों लोगों का दिल जीता।
चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजे गए
डॉ. सुरेंद्र दुबे को उनकी साहित्यिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों के लिए कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए। 2010 में भारत सरकार ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा। इसके अलावा, उन्हें 2008 में काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार, 2012 में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान, अट्टहास सम्मान, और 2019 में वाशिंगटन डीसी में हास्य शिरोमणि सम्मान से सम्मानित किया गया। अमेरिका में उन्हें लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया का खिताब भी मिला।
सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान
डॉ. दुबे ने छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई। उनकी कविताएं हास्य के साथ-साथ सामाजिक चेतना और संवेदनशीलता को दर्शाती थीं। 2018 में उनके निधन की झूठी खबर वायरल होने पर उन्होंने अपनी हास्य शैली में कविता लिखी, “टेंशन में मत रहना बाबू, टाइगर अभी जिंदा है,” जो उनकी जीवटता और सकारात्मकता का प्रतीक थी।
वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थक थे और 2017 में तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। उनकी कविताओं ने भाजपा की जनकल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
साहित्य जगत में शोक
डॉ. दुबे के निधन से साहित्य और हास्य कविता जगत में एक बड़ा खालीपन छा गया है। छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के अध्यक्ष आत्माराम कोशा ने कहा, “डॉ. दुबे की रचनाएं छत्तीसगढ़ी साहित्य का गौरव हैं।” कवि प्यारे लाल शर्मा ने उन्हें “मंचों का शेर” बताया। सोशल मीडिया पर प्रशंसक और साहित्य प्रेमी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं। कवि कुमार विश्वास ने लिखा, “छत्तीसगढ़ी संस्कृति के वैश्विक दूत और हास्य कविता के शिखर पुरुष का जाना हम सभी के लिए दुखद है।”
