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वाराणसी: नगर निगम ने आपदा को 'अवसर' में बदला, दोषी अफसरों को मिलती है मलाईदार विभाग की कमान

नगर निगम वाराणसी में अगर कहा जाए कि घोटालो की परत खोलेंगे तो प्याज के छिलके की तरह एक के बाद एक खुलते जाएंगे। क्योकि सभी घोटालो में प्याज के छिलकों की तरह समानता ये है कि सारे घोटाले कागजो पर ही करके पैसों का हिसाब कर दिया जाता है।

Update: 2021-04-22 15:00 GMT

वाराणसी: प्रधानमंत्री के संसदीय छेत्र में नगर निगम उनके आपदा को अवसर में बदलने वाली बात को आत्मसात कर रहा है। ऐसा नही है कि आपदा के समय ही नगर निगम ऐसा कर रही बल्कि हमेशा से करती आ रही या कह सकते है एक रिवाज है यहां।

जी हां! नगर निगम वाराणसी ने पिछले वर्ष कोरोना काल के समय बैरिकेडिंग खर्च के बजट में एक करोड़ रुपया दिखाया। अपनी दूरदृष्टि दर्शाते हुवे पूर्व में ही अनुमान भी लगा लिया कि पिछले बार से कही पांच गुना ज्यादा भयावह रूप में कोरोना कहर बरपायेगा इस बार। जिसके लिए नगर निगम ने पहले ही पांच करोड़ रुपये बजट में आवंटित कर लिया।

आपको बता दे नगर निगम वाराणसी में अगर कहा जाए कि घोटालो की परत खोलेंगे तो प्याज के छिलके की तरह एक के बाद एक खुलते जाएंगे। क्योकि सभी घोटालो में प्याज के छिलकों की तरह समानता ये है कि सारे घोटाले कागजो पर ही करके पैसों का हिसाब कर दिया जाता है। इसी तरह से पिछली बार एक करोड़ रुपये का खर्च दिखा इस बार के लिए पहले ही पांच करोड़ रुपये आवंटित कर नगर निगम ने आपदा को अवसर में बदल दिया। हांलाकि इस बात की जानकारी किसी को हो नही पाती की पिछली बार कितना खर्च दिखाया गया और इस बार के लिए कितना आवंटित किया गया।

यह बात तब खुली जब नगर निगम के बजट की बैठक में पार्षद दिनेश यादव ने नगर निगम द्वारा टेंट और शामियाना मद में नगर निगम द्वारा पिछले वर्ष का खर्च एक करोड़ वही अगले वर्ष के लिए पांच करोड़ अग्रिम राशि आवंटित की गई है। जिसपर उन्होंने जानना चाहा कि आखिर नगर निगम ने कहा कौन सा आयोजन किया कि टेंट और शामियाना एक करोड़ का लगा।

तब नगर आयुक्त ने बताया कि पिछले वर्ष कोरोना काल मे नगर निगम ने कोरोना संक्रमितों के घर की बेरिकेडिंग कराई थी जिसमे एक करोड़ खर्च हुवे। जिसे हमने टेंट और शमियाना मद में दिखाया है। इस बार के लिये पहले से ही पांच करोड़ रख लिया गया है। यह बात सच है कि पिछली बार कोरोना संक्रमितों के घर के बाहर और उस इलाके को कैंटोनमेंट जोन घोषित कर बेरिकेडिंग पंद्रह दिनों के लिए कराई जाती थी। जबकि उस समय प्रतिदिन संक्रमित व्यक्तियों की अधिकतम संख्या 400 तक और मरने वालों की संख्या एक या दो रही।

इस समय कोरोना का सबसे जटिल समय चल रहा और कैंटोनमेंट जोन भी अधिक है। वही कोरोना संक्रमितों की संख्या 2500 प्रतिदिन के लगभग जा रही वही मरने वालों की संख्या प्रशासनिक आंकड़ो के अनुसार दस के करीब जा रही लेकिन उसके बावजूद किसी संक्रमित के घर के बाहर या कैंटोनमेंट जोन में बेरिकेडिंग नही कराई गई। वही पिछली बार ड्रोन से कैंटोनमेंट जोन को और शहर के इलाकों को सेनेटाइज़ कराया जाता था लेकिन इस बार वो भी नही दिख रहा। एक दिन बस प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय और आवास के साथ कुछ थानों पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियों से सेनेटाइजेशन करा कोरम पूरा कर दिया गया। लगता है नगर निगम ने इस आपदा कॉल को अवसर बना पांच करोड़ रुपये खर्च कर दिया। मामला जो भी हो इसका जवाब किसी से पूछने पर नही मिल पायेगा।

अधिकारी बोलते है सेनेटाइजेशन हो रहा बेरिकेडिंग भी शुरू हो जाएगी लेकिन मौके पर कुछ भी नही है। अगर आप आरटीआई भी डालते है तो नही मिलेगा। क्योकि पिछले पंद्रह महीनों से सैकडों लोग आरटीआई के द्वारा नगर निगम से सवालो का जबाब मांग थक गए लेकिन उत्तर नही मिला।

आरटीआई के जवाब भी देना मुनासिब नही समझता नगर निगम

जी हां आप आरटीआई डालेंगे लेकिन आपको जवाब नही मिलेगा। दोबारा रिमाइंडर डालेंगे तो भी कोई प्रतिक्रिया नही मिलेगी। महीनों बाद जब जवाब नही मिलेगा तो स्वाभाविक है नागरिक आशा छोड़ देगा और भूल अपने काम मे व्यस्त हो जाएगा। आम नागरिक की बात छोड़िए यहां के पार्षद दिनेश यादव ने परिवहन और विज्ञापन विभाग से सम्बंधित आरटीआई के द्वारा सवाल किए लेकिन आठ महीने हो गए जवाब नही मिला। यहां तक कि संबधित विभाग के अधिकारी से मिल के कहा तो हर बार यही जवाब होता है टाइप हो गया है कल मिल जाएगा मगर मिलता नही है।

जांच में दोषी पाए जाने के बाद मिली और मलाईदार विभाग की कमान

पिछले दिनों परिवहन विभाग में हुवे करोड़ो के घोटाले को लेकर नगर निगम समाचार पत्रों की सुर्खियों में रहा। अंत मे नगर आयुक्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला जांच का खुलासा करना पड़ा। जिसमे उन्होंने करोड़ो के हुवे घोटाले में कुछ लाख रुपयों का मामूली नुकसान बताया। तीन लिपिक श्रेणी के कर्मचारियों को निलंबित कर दिया। जबकि जांच में दोषी पाए गए अधिशासी अभियंता के खिलाफ कार्यवाई करने की बजाय उसे परिवहन विभाग से हटा दूसरे मलाईदार विभाग की कमान सौंपी दी। जो दोषी पाया गया वो लगातार अपने पद पर अभी तक बना हुआ है। तो ऐसे में इसे आप यही कहेंगे न कि आपदा को अवसर में बदलने में माहिर है नगर निगम के अधिकारी।

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