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नोएडा की पांच हजार महिलाओं ने 'मैत्री' कर बदली किस्मत

गौतमबुद्धनगर जिला प्रशासन भी ऐसे लघु महिला समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने स्तर पर प्रोत्साहित कर रहा है।

Update: 2021-03-28 14:18 GMT

नोएडा/अजय सिंह चौहान: एक साल पहले घोषित देशव्यापी लॉकडाउन से कारोबारी वर्ग भले ही अभी उबरने का प्रयास कर रहा हो। लेकिन नोएडा की पांच हजार से अधिक कमजोर और गरीब महिलाओं ने 'मैत्री' एप के जरिये बीते एक साल में आपदा को अवसर में बदल अपनी किस्मत बदल डाली है।

आत्मनिर्भर भारत से प्रेरित

गौतमबुद्धनगर जिले के नोएडा और ग्रेटर नोएडा की करीब पांच हजार से ज़्यादा महिलाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'आत्मनिर्भर भारत' मुहिम से प्रेरित होकर खुद के बनाये प्रोडक्ट मार्केट में पैकिंग कर बेच रही हैं। इस सब में उनका साथी बना है मैत्री ऐप। जोकि घर में तैयार प्रोडक्ट को बाजार तक पहुंचाने से लेकर मजबूत सप्लाई चेन बनाये रखने का काम बखूबी देखता है। महिलाओं के प्रोडक्ट अब दिल्ली-एनसीआर के बड़े बड़े रिटेल शोरूम और मॉल्स में बिकते देखे जा सकते हैं। अपनी कठिनाइयों से निकली इन महिलाओं के सामाजिक स्तर में तो इजाफा हुआ ही है आमदनी में बढ़ोत्तरी भी हुई है।

लघु उद्योग का दिया रूप


मैत्री संस्था के जरिये महिलाओं को तकनीकी और जरूरी सहयोग दे रहीं नम्रता नारायण कहती हैं कि हम उनके बने सामानों को बड़े बड़े आउटलेट में उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे उन्हें बाजार या खरीददार के अभाव में भटकना न पड़े। हमने यह काम पिछले साल लॉकडाउन के दौरान शुरू किया था। यह एक प्रयोग था लेकिन हमको मिली सफलता ने हमारे इरादों को और पक्का कर दिया है। पूरे नोएडा में पांच हजार से अधिक महिलाएं मैत्री एप से जुड़कर अपने सामानों को बेच रही हैं। एक समूह में करीब आठ से दस महिलाएं लघु उद्योग बनाकर काम करती हैं। महिलाओं के अलग अलग समूह एक इकाई की तरह काम कर बिस्कुट, पापड़, अचार, कचौड़ी, गुझिया, नमकीन, पेंटिंग, मिठाई समेत 12 से अधिक प्रोडक्ट अपने अपने घरों में तैयार कर इसे महंगे बाजारों में बेच रहे हैं। ग्रेटर नोएडा की साधना सिन्हा कहती हैं कि इससे हमारे आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी हुई है। अब हम अपनी आत्मनिर्भरता, अपने परिवार, स्वाभिमान और बच्चों की खुशहाली के लिए पहले से ज़्यादा मेहनत कर रहे हैं।

प्रशासन भी कर रहा है प्रोत्साहित

खास बात यह है कि छोटे छोटे समूहों में काम कर रही यह महिलाएं समय से पेमेंट मिल जाने के कारण खासा खुश हैं। गौतमबुद्धनगर जिला प्रशासन भी ऐसे लघु महिला समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने स्तर पर प्रोत्साहित कर रहा है। नम्रता आगे कहती हैं कि इन पांच हजार महिलाओं ने अपनी मेहनत से एक दूसरे की किस्मत बदल डाली है। बदलाव का इंतजार कर रही करोड़ों महिलाएं भी इनसे कुछ सीख सकती हैं। आगे चलकर देश को इसका फायदा होगा।

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