संस्कृति विश्वविद्यालय में फैशन डिजाइनिंग विभाग ने लगाई प्रदर्शनी
मथुरा। यदि फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में करियर बनाना है तो बिजी शेड्यूल के बावजूद आपको अपनी स्किल्स को सुधारने के लिए कुछ समय निकालना होगा। आज यह क्षेत्र क्रिएटिविटी से ओत-प्रोत है, इसमें व्यापक अवसर भी हैं लेकिन अवसरों को सफलता में कन्वर्ट करने के लिए आपको स्वयं प्रयास करने होंगे। यह विचार कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने संस्कृति यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फैशन डिजाइनिंग संकाय के छात्र-छात्राओं द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी के शुभारम्भ अवसर पर व्यक्त किए।
इस प्रदर्शनी में छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रकार की आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग करते हुए स्वयं निर्मित कुशन्स और स्ट्रोल लगाए। श्री गुप्ता ने छात्र-छात्राओं द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि फैशन के क्षेत्र में टैक्सटाइल की अहम भूमिका है। आज भारतीय टैक्सटाइल इंडस्ट्री की पहचान विश्व की सर्वोत्तम इंडस्ट्रीज में होती है। भारत में टैक्सटाइल इंडस्ट्री पूरी तरह से टैक्सटाइल मैनूफैक्चरिंग एवं एक्सपोर्ट हाउसेज पर आधारित है। श्री गुप्ता ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि यदि ग्लैमर, पैसा एवं प्रसिद्धि की चाह रखते हैं तो फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में महारत हासिल करें।
विभागाध्यक्ष अंजली भारद्वाज ने बताया कि एक फैशन डिजाइनर को सैम्पल डिजाइन तैयार करने, स्केच तैयार करने तथा टैक्सचर एवं फैब्रिक संबंधी प्रयोग करने पड़ते हैं, वहीं दूसरी ओर उसे क्लाइंट को अपने प्रोडक्ट अथवा डिजाइन की ओर आकर्षित करने के लिए प्लानिंग एवं प्रजेंटेशन पर भी विशेष ध्यान देने के साथ उसे विस्तारपूर्वक अपने आइडियाज एवं कान्सेप्ट को क्लाइंट को समझाना पड़ता है।
छात्र-छात्राओं द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी को कुलपति डॉ. राणा सिंह, ओएसडी मीनाक्षी शर्मा ने न केवल देखा बल्कि उसे सराहा भी। इस प्रदर्शनी में छात्र-छात्राओं द्वारा लगाए गए विभिन्न परिधानों को न केवल सराहना मिली बल्कि प्राध्यापकों ने उसे खरीदा भी। इस प्रदर्शनी के आयोजन में असिस्टेंट प्रो. आयुषी पांडेय, अर्पित मिश्रा और हर्षलता शर्मा का विशेष सहयोग रहा।