कोई काम करने के लिए इच्छा शक्ति की आवश्यकता: मनोहर

Update: 2019-01-12 17:45 GMT

जीएलए में आयोजित दो दिवसीय कॉर्पोरेट कॉन्क्लेव का हुआ समापन

मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय के प्रबंधन संकाय द्वारा कनेक्टिंग रूरल इंडिया थीम पर आयोजित की गयी दो दिवसीय कॉर्पोरेट कॉन्क्लेव में दूसरे दिन देश भर से आये उद्योग, शिक्षा एवं सरकारी सेवाओं से जुड़े दिग्गजों ने अपने विचार और अनुभव साझा किए। कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी के जरिये सामाजिक विकास में उद्योग जगत सामूहिक रूप से सहभागी बनकर किस प्रकार के व्यापक बदलाव ला रहा है। भविष्य में क्या कुछ और किया जाना है एवं मुख्य रूप से ग्रामीण भारत के उत्थान में सीएसआर के प्रयासों व उनसे जुड़े बदलावों पर सभी प्रबुद्धजनों ने चिंतन-मंथन किया। सभी ने एक संदेश के माध्यम से कहा कि कार्य करने वाले सब हैं सिर्फ इच्छा शक्ति की कमी है।

अकादमिक पार्टनर स्कोप के पीके सिन्हा द्वारा जानकारी देने के साथ चर्चा-परिचर्चा प्रारंभ हुयी। प्रमुख कॉर्पोरेट पार्टनर एनपीसीसी के सीएमडी मनोहर कुमार ने समाज के उत्थान में बतौर सीएसआर एनपीसीसी के विभिन्न प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि सीएसआर भारतीय संस्कृति के मूल में है। लोक कल्याण के कार्य हमारी परंपरा का हिस्सा रहे हैं और इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सीएसआर गतिविधियों के जरिये कंपनियां खुद को स्थानीय समुदायों से स्थायी तौर पर जोड़ सकती हैं। इसके लिए सरकार, कंपनियों के नीति निर्धारकों एवं उच्च पदस्थ अधिकारीयों, सामजिक संस्थाओं और आमजन के समग्र सतत प्रयासों की महती आवश्यकता है। एनपीसी ने भी स्चछता से लेकर निर्माण तक अनेकों कार्य देश की प्राथमिकता में किये हैं।

एनएसडीसी के निदेशक जयकांत सिंह ने सीएसआर की ओर जागरूकता बढ़ाने हेतु समुचित शिक्षा एवं ट्रेनिंग से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सीएसआर के तहत कौशल विकास रोजगार पर खासा ध्यान दिया जाए, जिससे संसाधनों से वंचित वर्ग को भी आगे बढऩे का मौका मिले।

सामजिक उद्यमी मुरलीधर भिंडा ने कहा कि सामजिक उद्यमिता पर खासा ध्यान दिए जाने की जरूरत है चूंकि इसके माध्यम से महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, इत्यादि जैसे प्रमुख मुद्दों पर सार्थक काम किया जा सकता है। पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डा. अजीत पाठक ने कहा कि निश्चित तौर से दो दिन तक चली विचार मंथन की प्रक्रिया के सकारात्मक नतीजे निकलेंगे।

स्मार्ट ट्रांसफॉर्मेशंस के चेयरमैन अमिताभ सत्यम ने कहा कि सीएसआर भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है किन्तु समय के साथ बड़ी तादाद में एनजीओ ने इसका पाश्चात्यीकरण कर इसके प्रभाव को सीमित कर दिया है।

डा. प्रवीन अग्रवाल ने स्वदेश संस्था एवं कोकाकोला के अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार समाज के विभिन्न जरूरतमंद वर्गों की सहायता हेतु उनकी ओर से प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सीएसआर का क्षेत्र विस्तृत है जिसे सीमित दायरों में नहीं बांधा जा सकता। हर कम्पनी यदि अपने सामजिक दायित्वों का निर्वहन सुनिश्चित करे तो समाज का बहुआयामी विकास होता दिख जाएगा। आईपीएस केके विश्नोई ने कहा कि सीमावर्ती सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी सीएसआर एक्टिविटीज उतनी प्रभावी नहीं दिखती हैं जितनी कि दर्शाई जाती हैं। अत: सरकार एवं उद्योग जगत को इस ओर विशेष ध्यान देते हुए प्रभावी पहल करनी चाहिए।

इस अवसर पर सीए कमल गर्ग, पायल, पावनी खंडेलवाल, मीनू मग्गू आदि ने ग्रामीण भारत में महिला सशक्तिकरण पर चर्चा को आगे बढाते हुए उनके लिए विशेष रूप से कौशल विकास एवं रोजगार कार्यक्रमों की वर्तमान स्थिति में आ रहे बदलावों एवं वर्तमान समय की मांग के अनुरूप कार्यक्रमों के निर्माण एवं क्रियान्वयन पर बात की।

ताज ग्रुप ऑफ होटल्स की अंकिता रॉय, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इण्डिया के पूर्व कार्यकारी निदेशक डा. दिवाकर गोयल, डा. सुचेता अग्रवाल एवं अंकिता राज, नवीन भारत संस्थान के राजदीप गौतम, वाओ फैक्टर्स के गोयंका एवं केजीएस एडवाइजर्स की एमडी तृप्ति सिंघल सोमानी टेडएक्स स्पीकर डॉ. शंकर गोयंका ने भी विचार व्यक्त किये।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डीएस चौहान ने कहा कि जब संसाधनों का व्यावसायिक प्रयोग करते हुए धनार्जन किया जाता है तो यह ध्यान में रखना जरूरी है कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति का समान अधिकार है। प्रति कुलपति प्रो. एएम अग्रवाल ने ब्रज क्षेत्र के विकास में जीएलए विश्वविद्यालय की ओर से किये जा रहे विभिन्न प्रयासों की जानकारी दी। कॉन्क्लेव संयोजक प्रो. कन्हैया सिंह ने भी विचार रखे। प्रो. सोमेश धमीजा द्वारा अतिथियों का स्वागत संबोधन दिया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. विकास त्रिपाठी द्वारा दिया गया। विश्वविद्यालय के सेक्रेटरी सोसायटी एवं कोषाध्यक्ष नीरज अग्रवाल ने कॉन्क्लेव से जुड़े सभी व्यक्तियों को बधाई दी।

आइओसीएल मथुरा, पीएफसी ने कॉन्क्लेव में बतौर प्रायोजक, सीएसआर विजन ने मीडिया पार्टनर, स्कोप ने अकादमिक पार्टनर और एनपीसीसी ने बतौर कॉर्पोरेट पार्टनर सहयोग दिया। 

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