संस्कृति यूनिवर्सिटी के फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में वक्ताओं ने साझा किए अनुभव

Update: 2019-01-09 17:06 GMT

एक कुशल शिक्षक में कौशल और समर्पण जरूरी: ब्रिगेडियर सुनील कुमार 

मथुरा। शिक्षण दुनिया में सबसे बढिय़ा, रोमांचक और समाज सेवा का कार्य है। एक कुशल शिक्षक के सामने चुनौतियां भी कम नहीं होतीं लेकिन जो इन चुनौतियों को स्वीकारते हुए छात्र-छात्राओं के सम्मुख नजीर स्थापित करता है, सही मायने में वही एक कुशल और आदर्श शिक्षक है। उक्त उद्गार एमएसएमई और संस्कृति यूनिवर्सिटी के संयुक्त प्रयासों से आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए इंटरनेशनल मास्टर ट्रेनर एंड मोटीवेशनल स्पीकर ब्रिगेडियर सुनील कुमार मुदगिल ने व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रिंसीपल डायरेक्टर एमएसएमई (भारत सरकार) आर. पन्नीरसेल्वम, कुलपति डॉ. राणा सिंह और डीन डॉ. कल्याण कुमार ने माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया।

ब्रिगेडियर सुनील कुमार ने कहा कि शिक्षण में कौशल विकास और समर्पण की आवश्यकता होती है। हम छात्र-छात्राओं को सही तालीम तभी दे सकते हैं, जब हम स्वयं आदर्श भावना को अपने आपमें में समाहित करें।

इस अवसर पर प्रिंसिपल डायरेक्टर एमएसएमई (भारत सरकार) आर. पन्नीर सेल्वम ने कहा कि आज हर पल तकनीक बदल रही है। हम नई पीढ़ी का पुरातन शिक्षा प्रणाली से मार्गदर्शन नहीं कर सकते। कॉरपोरेट हो, पॉलिटिक्स हो, कॉलेज हो, सोसायटी हो या फिर और कोई भी फील्ड, हर क्षेत्र में क्रिएटिव माइंड के लोग ही कुछ नया कर पाते हैं।

कुलपति डॉ. राणा सिंह ने कहा कि एक्शन और बोल्डनेस किसी भी शिक्षक के कॉन्फीडेंस का पैमाना है, लिहाजा इन्हें कभी कमजोर नहीं होने देना चाहिए। जब भी आप कक्षा में जाएं आपके मानस में कुछ इंटरेस्टिंग डाटा जरूर होना चाहिए। शिक्षण क्षेत्र ही नहीं डाटा या आंकड़े हर क्षेत्र में अहम होते हैं। ध्यान रहे आंकड़ों और बातों में सच्चाई होनी चाहिए और अपने विचारों को पूरी मजबूती के साथ रखने की काबिलियत भी।

डॉ. कल्याण कुमार ने कहा कि हर काल में आदर्श शिक्षक रहे हैं। आज शिक्षण कार्य में तकनीक का समावेश जरूरी हो गया है। हमें देश-दुनिया में हो रहे परिवर्तनों से अपडेट रहना चाहिए, इससे हम छात्रों की जिज्ञासा को आसानी से दूर कर सकते हैं। कुलपति डॉ. राणा सिंह और डॉ. कल्याण कुमार ने अतिथियों को स्मृति चिह्न प्रदान कर उन्हें पुन: आने का अनुरोध किया। आभार डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. ओपी जसूजा ने माना। 

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