केडी हॉस्पीटल ने जन्मजात मोतियाबिंद से मास्टर जय को दिलाई मुक्ति

Update: 2019-01-09 17:03 GMT

मथुरा। क्या आपका लाड़ला खिलौना देखकर पकड़ नहीं पाता है? क्या वह दौड़ते-दौड़ते सामान्यतया वस्तुओं से टकरा जाता है। क्या आपका बच्चा तिरछा या टेड़ा देखता है। यदि इनमें से कोई भी लक्षण आपके लाड़ले में दिखाई दे रही है, तो आपके बच्चे को भी मास्टर जय की तरह से जन्मजात मोतिया बिंद होने की प्रबल संभावना है।

मल्टी स्पेशियेलिटी केडी हॉस्पीटल में हरियाणा के पलवल, राजीव नगर निवासी हेमंत बघेल ने बताया कि उनके तीन वर्षीय बच्चे मास्टर जय को जन्मजात मोतिया बिंद चिकित्सकों ने बताया था। जय अक्सर खिलौने नहीं ढूंढ पाता था। उसे दिल्ली तक के कई नामी गिरामी चिकित्सालयों में इलाज कराने को लेकर गए। वहां उन्होंने दोनों आंखों के ऑपरेशन के एक लाख रुपये से अधिक मांगे। जो कि केडी हास्पीटल में मात्र लेंस की कीमत सात हजार रुपये ही खर्च हुए। केडी हास्पीटल के नेत्र रोग विभाग में बच्चे इलाज के लिए की भर्ती करने की फीस और बेड चार्ज भी नहीं देना पड़ा। पड़ोसी की सलाह पर वह केडी हॉस्पीटल में डॉ. नेहा सिंह से आकर मिले।

अल्ट्रासाउंड समेत कई खून की जांचें कराने और रुबैला की पूर्व की रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने बताया कि मास्टर जय को जन्मजात मोतियाबिंद है। मास्टर जय में खून की कमी के कारण पहले कुछ दिन इसका इलाज किया गया। जय के स्वस्थ हो जाने पर उसकी दोनों आंखों के लेंस के मोतियाबिंद का ऑपरेशन एक सप्ताह के अंतर पर किया गया। बच्चे के बेहोश करने पर काफी ध्यान दिया गया। ऑपरेशन टीम में विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक कालरा, डॉ. नेहा सिंह, डॉ. नितिन, डॉ. ज्योत्सना, डॉ. मल्हार व्यास, एनथिएस्ट डॉ. सोनी, डॉ. नवीन सहायक नाहर सिंह, मुकेश और नरेश आदि शामिल रहे।

दिल्ली या आगरा के बजाय केडी हॉस्पीटल में कराएं नेत्र चिकित्सा: डॉ. रामकिशोर अग्रवाल

आरके एजूकेशन हब के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, वाइस चेयरमैन पंकज अग्रवाल और एमडी मनोज अग्रवाल ने कहा कि केडी हॉस्पीटल का नेत्र रोग विभाग चिकित्सा की दृष्टि से सुविधा और उपकरणों से काफी सुसज्जित है। इस विभाग में काफी काबिल चिकित्सक सेवारत हैं। इन चिकित्सकों और सुविधाओं को लाभ ब्रजवासियों को उठाना चाहिए।  

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