नयति हाॅस्पीटल का एक और भयावह सच, पेट दर्द, उल्टी की शिकायत पर चिकित्सकों ने वेंटीलेटर पर रखा, हुई मौत
40 घंटे का बिल बना दिया 1.83 लाख, पिता को खो चुके बेटे बोले ये अस्पताल रोगियों के लिए बेहद खतरनाक
मथुरा/स्वदेश। हाइवे स्थित नयति मेडिसिटी हाॅस्पीटल का ये दावा पूरी तरह खोखला है कि वो देश की बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराते है। हकीकत ये है कि यहां आधुनिक चिकित्सा के नाम पर पहले रोगियों के मर्ज को बढ़ाया जाता है और फिर तीमारदारों को साइक्लाॅजिकल ब्लैकमेल करने का काम बखूबी किया जाता है। अस्पताल में उपचार के दौरान अपने पिता को खो चुके बेटे अब न्याय के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य विभाग से गुहार लगा रहे है।
29 अक्टूबर को द्वारिका पुरी निवासी प्रभाकर शर्मा अपने पिता और बिजली विभाग के पूर्व अभियंता बीएन शर्मा को पेट दर्द, उल्टी की शिकायत पर नयति अस्पताल ले गए। यहां चिकित्सकों ने उन्हें प्राथमिक उपचार दिया और उसके बाद उन्होंने पिता की पिछली रिपोर्ट के बारे में पूछा। इसी के साथ उनसे 45 हजार रूपए जमा कराने को कहा गया। घबराए परिजनों ने पैसे जमा कराए और पिता को भर्ती करा दिया।
कुछ देर बाद ही चिकित्स्कों ने कहा कि आपके पिता की तबियत नाजुक है उन्हें वेंटीलेटर पर रखना चाहिए। ये सुनकर बीएन शर्मा के पुत्रों प्रभाकर और आशीष शर्मा के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। अच्छे भले पिता जो पैदल चलकर अस्पताल में भर्ती हुए उन्हें अचानक ऐसी कौन सी परेशानी हो गई कि उन्हें वेंटीलेटर पर रखने की जरूरत महसूस की जा रही है। बेटे आशीष शर्मा ने इसके लिए इनकार कर दिया लेकिन वहां मौजूद डा. रोहित लगातार ये कहते रहे कि कि आपके पिता की हालत गंभीर है और वेंटिलेटर ही एकमात्र विकल्प है।
आखिरकार बेटों को अपने पिता को वेंटिलेटर पर रखने की अनुमति देनी पड़ी। बेटे प्रभाकर शर्मा ने बताया कि मशीन के माध्यम से उनके पिता को कई इंजेक्शन दिए गए जिससे वो कराह रहे थे। इसके बाद चिकित्सकों ने डायलिसिस करने की बात कही। एक दिन में पिता का दो बार डायलिसिस किया गया। चिकित्सक लगातार कह रहे थे कि उनकी हालत में सुधार हो रहा है हमने चिकित्सकों पर भरोसा किया जो हमारी सबसे बड़ी भूल साबित हुई। कुछ ही देर बाद हमारे पास फोन आया कि अब आपके पिता नहीं रहे।
प्रभाकर शर्मा ने बताया अस्पताल में आधुनिक मशीनें तो है लेकिन अनुभवहीन चिकित्सकों मेें मानवता का स्तर शून्य है। लगभग 40 घंटे अस्पताल में भर्ती रहे पिता के डिस्चार्ज होने का बिल 1.83 लाख रूपए था। अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल में तीमारदारों को किस तरह साइक्लाॅजिकल ब्लैकमेल किया जाता है। मेरे पिता को केवल पेट दर्द और उल्टी की शिकायत थी केवल इसी परेशानी में उन्हें वेंटीलेटर पर रखना और लगातार पीड़ा देने वाले इंजेक्शन देना चैंकाने वाली बात है। हमने अपना पिता के रूप में अपना सबकुछ खो दिया।
पीएम, सीएम, स्वास्थ्य मंत्री से लगाई गुहार
पीड़ित प्रभाकर शर्मा ने बताया कि पूरे दस्तावेजों के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य विभाग, मुख्य चिकित्सा अधिकारी को शिकायत दर्ज कराई है। हालांकि इस शिकायत पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पीड़ितों ने बताया कि नयति में पिता को भर्ती कराकर हमने अपना सबकुछ खो दिया अब हमारा एक मकसद है कि और किसी के साथ ऐसा न हो। इसके लिए हम आम जन से भी सावधान रहने की भावुक अपील करते है।