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नयति हाॅस्पीटल का स्याहा सच

-चंद मिनटों के उपचार के लिए थमा दिया दो लाख का बिल, पिता के शव के लिए बेटी ने कहा किडनी बेचकर वसूल लो अपना बिल

Update: 2019-09-10 16:48 GMT

मथुरा। नयति हाॅस्पीटल का एक और स्याहा सच आपको हैरान कर देगा। यहां मामूली बीमारी पर उपचार कराने आए परिजनों को जब डाक्टरों ने उनके पिता के मृत होने की सूचना दी तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। परिवार वालों ने उपचार में लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया है। चंद मिनटों में दो लाख के बिल को देख अस्पताल में आए अन्य मरीजों के परिजन भी सहम गए।

नरहौली चौराहे के निवासी राधेश्याम की अचानक तबियत खराब हो गई। पेट में दर्द हुआ और फिर हल्की बेहोशी छा गई। इस पर उनकी बेटी हेमलता उन्हें नयति अस्पताल ले गई। पीड़िता के अनुसार उसके पिता अस्पताल में एडमिट होने से पहले बोल रहे थे, अपने पैरों पर भी चलकर गए। चिकित्सकों ने उपचार करने की बात कही और 25 हजार रूपए जमा करा लिए। करीब 30 मिनट तक उनका उपचार किया गया और फिर चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। ये सुनकर परिवार में कोहराम मच गया।

जरा सी तबियत खराब होने पर मौत की बात पर परिवारीजन विश्वास नहीं कर पा रहे है। उन्होंने चिकित्सकों पर उपचार में लापरवाही बरतने का गंभीर आरोप लगाया है। पीड़िता मृतक की बेटी हेमलता के अनुसार चंद मिनटों के उपचार के लिए दो लाख का बिल थमा दिया। संवेदनहीनता की हद देखिए रूपए न देने पर अस्पताल प्रशासन ने उन्हें मृतक का शव देने से ही इंकार कर दिया। ये सुनकर परिजन भड़क गए। हताश बेटी हेमलता ने अस्पताल प्रशासन से उनकी किडनी बेचकर बिल की रकम वसूलने तक की बात कह डाली लेकिन अस्पताल प्रशासन नहीं पसीजा। काफी हंगामे के बाद बेटी ने बिल की रकम अदा की तब कहीं जाकर उसे अपने पिता का शव मिल सका। इस पूरे घटनाक्रम के बाद वहां मौजूद मरीजों के परिजन भी सहम गए है।

ऐसे ही हादसों ने नयति अस्पताल की बनाई अलग पहचान

मथुरा। नयति हाॅस्पीटल में उपचार को लेकर लापरवाही, परिजनों का हंगामा, गंभीर आारोप, अनाप शनाप बिल को लेकर तीमारदार और अस्पताल प्रशासन के बीच तकरार होती रहती है। ऐसा ही एक मामला द्वारिकापुरी निवासी प्रभाकर शर्मा के साथ भी हुआ। जब उनके पिता बात करते अपने पैरों से चलकर नयति अस्पातल पहुंचे और चंद घंटों में उनके पिता की मौत हो गई। बिलखते परिवार ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सीएमओ, स्वास्थ्य मंत्री से लेकर मानवाधिकार आयोग तक का दरवाजा खटखटाया था। ये मामला सोशल मीडिया पर बेहद चर्चा में रहा और करीब 10 लाख से अधिक लोगों ने इसे पढ़ा। इससे पहले भी कई मरीज अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा चुके है लेकिन रसूखदार महिला के इस अस्पताल पर प्रशासन भी कोई कार्यवाही करने से कतराता है।

विधायक कारिंदा सिंह दर्ज करवा चुके है एफआईआर

मथुरा। सत्ताधारी दल भाजपा के विधायक कारिंदा सिंह के भाई की पत्नी की मौत के मामले में विधायक ने अस्पताल के तीन चिकित्सकों के खिलाफ इलाज में लापरवाही की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। ये मामला हाई प्रोफाइल था इसके बाद पूरे मामले को दबाने के भरकस प्रयास किए गए। लेकिन भाजपा विधायक के दबाव के आगे अस्पताल प्रशासन की एक नहीं चली। मामला रिपोर्ट वृंदावन कोतवाली में दर्ज हुई। हालांकि इसके बाद पूरे मामले को रफा दफा करवाने में अस्पताल प्रशासन ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया।

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