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देश की राजनीति का गढ़ यूपी

Update: 2019-03-11 04:47 GMT

लखनऊ। भारत की राजनीति में सत्ता पर आसीन होने के लिए यूपी से ही रास्ता जाता है। क्योंकि यहां लोकसभा की अस्सी सीटें हैं। देश की राजनीति का गढ़ यूपी है। इस बार उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया अध्याय लिखेगा क्योंकि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल मिलकर चुनाव भंवर में उतर रहे हैं।

इनका का मानस मोदी-शाह के विजय रथ को रोकना है। यह कितने सफल होते हैं आने वाले परिणाम ही तय करेंगे। वहीं दूसरी ओर पहली बार कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा ने कमान संभाली है। 2014 की तुलना में विपक्ष ज्यादा आक्रामक है। मोदी सरकार अपने कामों की बदौलत वोट मांगने की तैयारी में है। करीब बीस साल बाद केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है। भाजपा अभी भी मोदीमय है और योगी का मजबूत साथ भी है। पीएम नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी पिछली बार की तरह इस बार भी उत्तर प्रदेश से ही चुनाव लड़ेंगे। इस बार यूपी की सियासी परीक्षा पास करना सभी दलों के लिए बड़ी चुनौती रहेगी।

भाजपा अपने पुरानी सीटों पर जीतने का मानस बना रही है। क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 80 में से 71 और सहयोगी अपना दल को 2 यानी कुल 73 सीटें मिली थीं। हालांकि उपचुनाव में बीजेपी ने गोरखपुर और फूलपुर जैसी महत्वपूर्ण सीटें अपने हाथ से गवा दी थी। भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती ओबीसी वोट को संभालकर रखने की है। 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में इसी वोट की सहायता से पार्टी ने ऐतिसाहिक जीत मिली थी।

बसपा के सहयोगी दल अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से भी उसके संबंध पहले जैसे नहीं रहे हैं। चुनाव प्रबंधन में भाजपा विपक्षियों से काफी आगे है। पार्टी बूथ स्तर तक के सम्मेलन भी कर चुकी है।

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