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लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर के कुम्हारों को माटीकला बोर्ड देगा प्रशिक्षण

माटी कला बोर्ड की ओर से 'मुख्यमंत्री माटी कला रोजगार' योजना के तहत उन्हें लाभ मिलेगा।

Update: 2021-04-19 03:36 GMT

लखनऊ: चाक पर मिट्टी को आकार देने वाले कुम्हारों को प्रशिक्षण देकर उनके हुनर को तराशने की कवायद शुरू हो गई है। राजधानी में नवंबर माह में लगे माटी कला मेले के दौरान कुम्हारों को इसकी जानकारी दी गई थी। अब अमलीजामा पहनाने की तैयारी की जा रही है।

लखनऊ समेत वाराणसी तो गोरखपुर में इसकी शुरुआत होगी। तकनीकी प्रशिक्षण के साथ आधुनिक चाक भी इन्हें दिया जाएगा। माटी कला बोर्ड की ओर से 'मुख्यमंत्री माटी कला रोजगार' योजना के तहत उन्हें लाभ मिलेगा।

प्रशिक्षण के साथ मिलेगा सामान : 

खादी एवं ग्रामोद्याेग विभाग की ओर से संचालित इस योजना के तहत मांग के अनुरूप प्रजापति समाज न केवल निश्शुल्क ट्रेनिंग दी जाएगी बल्कि उन्हें बिजली या सोलर से चलने वाली चाक, गैस की भट्ठी सहित अन्य सामान दिए जाएंगे। कक्षा आठ पास 18 से 55 वर्ष आयु के प्रजापति समाज के लोग योजना का लाभ पा सकते हैं। इसके लिए जिला ग्रामोद्योग अधिकारी से संपर्क करना होगा।

माइक्रो कॉमन फैसेलिटी सेंटर खुलेगा : 

प्रजापति समाज द्वारा बनाए गए उत्पादाें के विपणन व प्रशिक्षण के साथ तकनीकी जानकारी के लिए माइक्रो कॉमन फैसेलिटी सेंटर भी खुलेगा। इससे उन्हें सामान की बिक्री में कोई परेशानी नहीं होगी। माटी कला सहकारी समितियों को सेंटर खोलने के लिए अनुदान दिया जाएगा।

इसके अलावा समाज के लोगों को काम के लिए 10 लाख तक की अनुदानित सहायता भी दी जाएगी।टेराकोटा कला का होगा विकासचिनहट के टेरोकोटा का काम करने वाले लालता प्रसाद प्रजापति ने बताया कि सरकार की योजना से प्रजापति समाज को फायदा होगा। उन्होंने बताया कि टेराकोटा के बर्तन विदेश तक जाते थे। मेरे चाचा जी की बनी अंचार दानी की मुंबई, कोलकाता, मद्रास तक जाता थी। मांंग के अनुरूप आपूर्ति देने में नंबर लगता था। 1985 से चीनी मिट्टी के साथ ही टेराकोटा का काम कर रहे हैं, लेकिन अब इसे आगे बढ़ाने में दिक्कत हो रही है। नई योजना से टेराकोटा कला का विकास होगा।

लखनऊ के जिला ग्रामोद्योग अधिकारी, एलके नाग ने बताया कि मुख्यमंत्री माटी कला रोजगार योजना प्रजापति समाज को मुख्यधारा में लाने और माटी कला को आगे बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगी। पहले चरण में राजधानी समेत वाराणसी और गाेरखपुर में इसकी शुरुआत हो रही है। योजना के लिए जिला खादी एवं ग्रामोद्योग अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है।

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