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ताजमहल के संरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार

कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 4 सप्ताह में विजन डॉक्यूमेंट दाखिल करने का निर्देश दिया

Update: 2019-02-13 12:07 GMT

नई दिल्ली/लखनऊ। ताजमहल के संरक्षण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 4 सप्ताह में विजन डॉक्यूमेंट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण के लिए तत्परता दिखानी चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार 4 सप्ताह में विजन डॉक्यूमेंट दे, क्योंकि हम ताजमहल को लेकर चिंतित हैं।

29 नवंबर 2018 को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि ताजमहल पर विजन डॉक्यूमेंट 8 हफ्ते में तैयार कर लिया जाएगा। विजन डॉक्यूमेंट ड्राफ्ट कमेटी की अधिकारी और स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर की मीनाक्षी धोते ने कोर्ट को बताया था कि विजन डॉक्यूमेंट के बारे में लोगों के सुझाव मिल रहे हैं। उन्होंने कहा था कि अगले हफ्ते वे यूपी सरकार को विजन डॉक्यूमेंट दे देंगी। कोर्ट ने कहा था कि विजन डॉक्यूमेंट मिलते ही उसे सार्वजनिक कर दिया जाए।

25 सितंबर 2018 को कोर्ट ने यूपी सरकार को विजन डॉक्यूमेंट बनाने की समय सीमा बढ़ा दी थी। कोर्ट ने यूपी सरकार को विजन डॉक्यूमेंट 15 नवंबर तक तैयार करने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने कहा था कि ये संभव नहीं है कि पूरे आगरा को हेरिटेज सिटी घोषित कर दिया जाए। यूपी सरकार ने कहा था कि आगरा के कुछ इलाकों को संरक्षित क्षेत्र में लाया जा सकता है ताकि आगरा में विश्व प्रसिद्ध तीन ऐतिहासिक महत्व के इमारतों का संरक्षण किया जा सके।

28 अगस्त 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से विशेषज्ञ कमिटी को सुझाव देने का निर्देश दिया था। इस कमिटी का गठन सुप्रीम कोर्ट ने किया है। कोर्ट ने कहा था कि कमिटी ताज के पास के उद्योग, हरित क्षेत्र, यमुना के प्रदूषण समेत सभी पहलुओं पर गौर कर रिपोर्ट तैयार करे।

प्रो. मीनाक्षी धोते के नेतृत्व वाली एक्सपर्ट कमिटी ने कोर्ट को बताया था कि ताज क्षेत्र में जितने उद्योग की जानकारी यूपी सरकार ने दी है, संख्या उससे अलग है। तब कोर्ट ने कहा था कि जब संख्या गलत है तो सरकार का विजन डॉक्यूमेंट कैसा होगा, ये समझा जा सकता है ।

30 जुलाई 2018 को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि पर्यावरण मंत्रालय के ज्वायंट सेक्रेटरी केंद्र की तरफ से और ताज ट्रेपेजियम ज़ोन (टीटीजेड) के अध्यक्ष यानी आगरा मंडल के कमिश्नर यूपी की तरफ से जवाबदेह अधिकारी होंगे। कोर्ट ने सुझाव को मंज़ूर करते हुए कहा था कि अब से ये दोनों ही हलफनामा दाखिल करें ।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हमारी चिंता यूनेस्को की चिंता से ज्यादा होनी चाहिए। एएसआई ने कहा था कि हमने 2013 में ही यूनेस्को को योजना दे दी थी। एएसआई ने कहा था कि उसके महानिदेशक ही ताजमहल के मेंटेनेंस के लिए जिम्मेदार होंगे।

पिछले 26 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के रखरखाव को लेकर केंद्र सरकार, यूपी सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने टीटीजेड क्षेत्र में 1167 वायु प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर हैरानी जताई थी।

पहले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एफिल टावर को देखने लाखों लोग आते है जबकि ताजमहल को देखने आने वालों की तादात कम है ।

कोर्ट ने ताजमहल का रंग बदलने पर एएसआई को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि अगर एएसआई ने ठीक से काम किया होता तो ताजमहल की ये हालत नहीं होती। कोर्ट ने कहा था कि ताजमहल में कीड़े लग रहे हैं और आप कुछ नहीं कर रहे हैं। आप कीड़ों को रोकने के लिए क्या कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा था कि एएसआई समझना नहीं चाहता कि ताजमहल में समस्या है। दरअसल एएसआई ने बताया था कि ताज के बदलते रंग की वजह गंदे मोजे, कीड़े और काई हैं। तब कोर्ट ने कहा था क्या कीड़ों के पास पंख हैं जो उड़कर ताजमहल पर बैठ जाते हैं ।

कोर्ट ने कहा था कि 22 साल पहले, 1996 में दिए हमारे आदेश पर अब तक अमल नहीं हो पाया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह ताजमहल की रक्षा और संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की नियुक्ति पर विचार कर रहा है । कोर्ट ने कहा था कि एएसआई का यही स्टैंड है तो केंद्र ताजमहल के रखरखाव को दूसरा विकल्प तलाशे।

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