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हिन्दू धर्म में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ जीवनभर संघर्ष करते रहे संत रविदास : मायावती

Update: 2019-02-19 11:59 GMT

लखनऊ। संत रविदास हिन्दू धर्म में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए जीवनभर संघर्ष करते रहे। वाराणसी में छोटी समझी जाने वाली जाति में जन्म लेने के बावजूद प्रभु-भक्ति के बल पर ब्रम्हाकार हुये। एक प्रबल समाज सुधारक के तौर पर वे आजीवन कड़ा संघर्ष करके हिन्दू धर्म में व्याप्त जन्म पर आधारित गै़र-बराबरी वाली वर्ण-व्यवस्था व अन्य कुरीतियों के ख़िलाफ संघर्ष करते रहे तथा उसमें सुधार की पुरज़ोर कोशिश लगातार करते रहे। यह बातें बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कही।

मायावती ने सन्त रविदास जयन्ती पर अपने जारी बयान में कहा कि आज के संकीर्ण व जातिवादी माहौल में उनके मानवतावादी संदेश की बहुत ही ज़्यादा अहमियत है और मन को हर लिहाज़ से वास्तव में चंगा करके जीवन गुजारने की ज़रूरत है। ख़ासकर सत्ताधारी पार्टी के लोगों को चाहिये कि वे केवल उन्हें स्मरण करने की रस्म नहीं निभायेें बल्कि इससे पहले अपने मन को संकीर्णता, जातिवाद व साप्रदायिकता आदि से पाक करके मन को चंगा करें क्योंकि छोटे मन से कोई भी बड़ा नहीं हो सकता।

मायावती ने कहा कि संत रविदास जाति-भेदभाव पर कड़ा प्रहार करते हुये कहते हैं कि ''देश की एकता, अखण्डता, शान्ति, संगठन एवं साम्प्रदायिक सद्भाव के लिये जाति रोग का समूल नष्ट होना आवश्यक है। मानव जाति एक है। इसलिये सभी प्राणियों को समान समझकर प्रेम करना चाहिये।'' यही कारण है कि मीराबाई तथा महारानी झाली ने संत रविदास को अपना गुरू स्वीकार किया। उनका मानना था कि ''जाति-पांति व मानवता के समग्र विकास में बड़ा बाधक है।'' वे कहते हैं कि: ''जाति-पांति के फेर में, उलझि रहे सब लोग। मानुषता को खात है, रैदास जात का रोग''

मायावती ने कहा कि अपने कर्म के बल पर महान संतगुरु बनने वाले संत रविदास ने सामाजिक परिवर्तन व मानवता के मूल्यों को अपनाने व उसके विकास के लिये लोगों में जो अलख जगाया उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। यही कारण है कि आज हर जगह बड़ी संख्या में उनके अनुयायी मौजूद हैं।

ऐसे महान संतगुरु के आदर-सम्मान में व उनकी स्मृति को बनाये रखने के लिये बसपा की सरकार ने उत्तर प्रदेश में जो कार्य किये हैं उनमें संत रविदास के नाम पर भदोही ज़िले का नामकरण, संत रविदास की जन्म नगरी वाराणसी में संत रविदास पार्क व घाट की स्थापना, फैज़ाबाद में संतगुरू रविदास राजकीय महाविद्यालय का निर्माण, वाराणसी में ही संत रविदास जी की प्रतिमा की स्थापना, संत रविदास सम्मान पुस्कार की स्थापना आदि प्रमुख हैं।

मायावती ने जयंती के अवसर पर कहा कि ख़ासकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी द्वारा संकीर्ण, जातिवादी व साम्प्रदायिक द्वेष के साथ-साथ छोटे मन आदि का व्यवहार करने के कारण ही देश में आज अनेकों प्रकार की विषमतायें व विकृतियाँ पहले से काफी ज्यादा बढ़ गयी हैं और समाज का तानाबाना बिखरता जा रहा है जिससे देश की 130 करोड़ आमजनता का दिन-प्रतिदिन का जीवन काफी ज्यादा त्रस्त, दुःखी व व्यथित है, जो अति-दुर्भाग्यपूर्ण है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी की सरकारों द्वारा अदूरदर्शी व छोटे मन से लगातार काम करते रहने का ही परिणाम है कि बढ़ती महंगाई, गरीबी, भीषण बेरोजगारी आदि से देश के सामान्य जनजीवन में अव्यवस्था छाई है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा भी गंभीर समस्या का शिकार है जिससे जितना जल्दी पार पाया जाये उतना ही देश के लिये बेहतर होगा लेकिन यह सब बीजेपी के बस की बात कतई नहीं लगती है। ये लोग सत्ता में रहने के बावजूद हर समस्या का राजनीतिकरण करके केवल लम्बी-चैड़ी बयानबाज़ी व लोगों को इमोशनली ब्लैकमेल करने की कोशिश में ही लगातार लगेे रहते हैं और यह अब वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के अति-घातक आतंकी हमले के मामले में भी देश में हर तरफ यही दिखाई पड़ रहा है। बीजेपी को समझना चाहिये कि इस प्रकार की राजनीति से देश का कोई भला होने वाला नहीं है। इसलिये बीजेपी को देश हित के मद्देनज़र मूल तौर पर अपना रवैया बदलने की जरूरत है।

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