हिस्ट्रीशीटर सुरेंद्र कालिया कोलकाता से लाया गया लखनऊ जेल

पिछले साल जुलाई में आलमबाग स्थित अजंता अस्पताल के सामने खुद पर सुरेंद्र ने फायरिंग करायी थी। फिर इस मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी। पड़ताल में दो दिन बाद ही उसकी कलई खुल गई थी और वह फरार होकर कोलकाता में छिप गया था। अब लखनऊ पुलिस उसे रिमांड पर लेगी।

Update: 2021-05-27 17:22 GMT

लखनऊ (अतुल कुमार सिंह) : हरदोई का हिस्ट्रीशीटर और रेलवे ठेकेदार सुरेंद्र कालिया को कोलकाता जेल से लाकर लखनऊ कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। पिछले साल जुलाई में आलमबाग स्थित अजंता अस्पताल के सामने खुद पर सुरेंद्र ने फायरिंग करायी थी। फिर इस मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी। पड़ताल में दो दिन बाद ही उसकी कलई खुल गई थी और वह फरार होकर कोलकाता में छिप गया था। अब लखनऊ पुलिस उसे रिमांड पर लेगी। मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद गैंग के गुर्गे इस समय योगी सरकार के निशाने पर हैं। दोनों गैंग के कई गुर्गे पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं तो कई गुर्गों ने खुद सरेंडर कर दिया है।

13 जुलाई को सुरेंद कालिया ने आलमबाग कोतवाली में एफआईआर लिखायी थी कि अजंता अस्पताल से बाहर निकलते समय उस पर फायरिंग करायी गई थी। बुलेट प्रूफ गाड़ी की वजह से बच गया था। उसका निजी गनर रूप कुमार घायल हुआ था। फुटेज व फोरेंसिक साक्ष्यों से घटना फर्जी निकली थी। 10 अगस्त को पुलिस ने खुलासा किया था कि सुरेंद्र ने विरोधी को फंसाने एवं सरकारी गनर लेने के लिए अपने ऊपर हमला कराया था। साजिश में शामिल चार साथी यशवेन्द्र सिंह, सचिन शुक्ला उर्फ विक्की, आशीष द्विवेदी एवं सुल्तान उर्फ मिर्जा गिरफ्तार किये गए थे।

सुरेंद्र के फरार होने पर 50 हजार रुपये इनाम भी घोषित किया गया था। सितंबर में वह नाटकीय तरीके से अवैध पिस्टल के साथ कोलकाता में गिरफ्तार हो गया था। पुलिस ने उसका वारंट बी लिया था। एडीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि पुलिस की काफी पैरवी के बाद उसे कोलकाता जेल से यहां लाकर कोर्ट में पेश किया गया। कोलकाता पुलिस उसे लेकर आयी थी। पुलिस को पड़ताल में पता चला कि सुरेंद्र कालिया पिछले कुछ सालों से मुख्तार गिरोह से जुड़ गया था। लखनऊ से फरार होने पर मुख्तार ने ही उसे शह दी थी और फिर उसकी नाटकीय तरीके से कोलकाता में गिरफ्तारी हो गई।

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं से हैं संबंध :

बदमाश सुरेंद्र कालिया हरदोई जनपद के बालामऊ कस्बे का रहने वाला है। वह बालामऊ से 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ चुका है। कांग्रेस का टिकट लेने से पहले वह समाजवादी पार्टी में था। सपा से टिकट नहीं मिलने के बाद उसने कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा। उसे स्थानीय जनता ने बुरी तरह हरा दिया। उसकी पत्नी को लगातार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतती रही है। सुरेंद्र कालिया खुद पिछली बार सपा से जिला पंचायत सदस्य रह चुका है। आपराधिक रिकॉर्ड के दम पर वह हर पार्टी का चहेता बना रहा है। बसपा से लेकर सपा और कांग्रेस तक सभी पार्टियों में सुरेंद्र कालिया के चाहने वाले हैं। इस राजनीतिक रसूख का उसने काफी फायदा भी उठाया।

बालामऊ में रेलवे का लेने से बनाई धाक :

सुरेंद्र कालिया ने खुद को जमाने के लिए रेलवे में ठेकेदारी का सहारा लिया। अपने आका मुख्तार अंसारी की सलाह पर उसने रेलवे में ठेकेदारी का काम शुरू किया। बालामऊ जंक्शन से उठने वाले काम में कोई उसकी बराबरी करने वाला नहीं है। यहीं से उसने खुद को जमाने के साथ स्थानीय राजनीति में घुसने की रणनीति तैयार की। अनुसूचित जाति से आने के कारण सबसे पहले बसपा में गया। वहां तत्कालीन जिलाध्यक्ष श्रवण कुमार से अदावत हो गई। बसपा में दाल नहीं गलने के कारण सपा का रुख किया। सपा में भी तत्कालीन जिलाध्यक्ष शराफत अली ने जब सुरेंद्र कालिया को नियंत्रित करने का प्रयास किया तो वहां भी कहासुनी हो गई। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले सुरेंद्र कालिया ने कांग्रेस का रुख किया। कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और हार गया।

खत्म होने की ओर मुख्तार और अतीक गैंग :

योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद और दाऊद अहमद गैंग के गुर्गे पुलिस के निशाने पर हैं। इन गैंगों के आधे से अधिक गुर्गे या तो पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं, या आपसी गैंगवार में जान गंवा चुके हैं। जो थोड़ा समझदार थे उन्होंने छोटे-मोटे मामले में अपनी जमानत कैंसिल करवाकर जेल जा चुके हैं। बाकी गुर्गों ने खुद ही सरेंडर कर दिया है। इस तरह समूचे उत्तर प्रदेश भर में फैले मुख्तार और अतीक गैंग का सफाई अभियान चल रहा है। संभव है सुरेंद्र कालिया का भी नंबर जल्द आ सकता है।

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