SwadeshSwadesh

कोई भी मौका छोड़ने के मूड में नहीं बीएसपी

Update: 2018-09-27 13:45 GMT

लखनऊ/स्वदेश वेब डेस्क। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों या ईवीएम के साथ प्यार और नफरत दोनों का ही रिश्ता दिखता है। पार्टी पिछले साल यूपी में विधानसभा चुनावों के बाद इसके कामकाज पर सवाल उठाने वाली पहली पार्टी थी। चुनाव में पार्टी की बुरी हार के साथ इसका बहुत कुछ लेना देना है। पिछले चुनावों में 80 के इसकी विधानसभा की ताकत 19 हो गई थी। पिछले साल कई बार पार्टी ने ईवीएम हैकिंग की शिकायत भी की लेकिन जब लोकसभा और विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी की चुनाव में हार हुई, विशेष रूप से गोरखपुर में जहाँ से राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आते हैं तो इसने बीएसपी के ईवीएम के प्रति नफरत को प्यार में बदल दिया। पार्टी अब ईवीएम के प्रति काफी नरम है।

अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पार्टी मतदाताओं में ईवीएम की जागरूकता के लिए आगामी चार राज्यों की चुनाव में एक अभियान शुरू करने जा रही है। उनमें से एक मतदाताओं को ईवीएम और वीवीपीएटी के बारे में शिक्षित करना है। वीवीपीएटी डिवाइस अब सभी ईवीएम से जुड़े हुए हैं। चुनाव आयोग इस सम्बन्ध में पहले भी कई बार यह बता चुका है की ईवीएम की हैकिंग नहीं हो सकती। पार्टी ने भाजपा से सीख लेते हुए अपने बूथ समितियों की संख्या में वृद्धि करने का फैसला किया है, जिससे ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं से पार्टी सीधे संपर्क में आ सके। पार्टी का दूसरा लक्ष्य मुसलमानों के विश्वास को वापस जीतना है, जिन्होंने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी के खिलाफ मतदान किया था। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने दलितों को छोड़ जोकि पार्टी के आधार थे, मुसलमान उम्मीदवारों को ज्यादा सीटों की पेशकश की थी लेकिन इसका फायदा पार्टी को बिलकुल भी नहीं मिला। मुस्लिम वोट एसपी और बीजेपी में बंट गए थे। पार्टी इन चुनावों में भी हर वह कोशिश करेगी, जिससे उनका समर्थन वापस मिले और पार्टी अच्छा प्रदर्शन करे।

नवीनतम कदम में पार्टी ने कांग्रेस के बगैर छत्तीसगढ़ राज्य में चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। पार्टी इस राज्य में अजीत जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। मध्य प्रदेश को ही 15 साल पहले विभाजित कर छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया था। 2013 के चुनाव में पार्टी यहां सिर्फ एक ही सीट जीत पायी थी परन्तु इसने यहां के मुकाबले मध्य प्रदेश और राजस्थान में अच्छा प्रदर्शन किया था और दो से अधिक सीटों पर अपना कब्ज़ा जमाया था। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मिली हार की वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल काफी गिरा है, जिसे बढ़ाने के लिए पार्टी को पहले के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन करना ही होगा।

इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी को अपना मतदान प्रतिशत और सीट संख्या को बढ़ाना ही होगा, तभी वह राष्ट्रीय पार्टी की छवि को बचा पायेगी। फिलहाल पार्टी का लोकसभा में एक भी प्रतिनिधि नहीं है जबकि राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त शर्तों के अनुसार इसकी संख्या 11 होनी चाहिए। बीएसपी के अलावा, दो अन्य दलों सीपीआई और एनसीपी की राष्ट्रीय स्थिति खतरे में हैं। इन्हें भी अपने मतदान प्रतिशत और सीट संख्या को बढ़ाना होगा। बीएसपी इसको लेकर काफी तेज़ी से काम करती दिख रही है।

Similar News