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हरि से मिलने निकले हर, सृष्टि का सौंपा भार

उज्जैन में निकली महाकाल की शाही सवारी

Update: 2020-11-29 07:46 GMT

उज्जैन। कार्तिक माह की शुक्ल चतुर्दशी के अवसर बाबा महाकाल की शाही सवारी निकली।यहां सावन की तरह कार्तिक माह की चतुर्दशी को महकाल की शाही सवारी निकाली जाती है।परंपरा अनुसार भगवान महाकाल (हर ) चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण करते हुए गोपाल मंदिर पहुंचे, यहां (हरी) भगवान विष्णु से मिलकर श्रष्टि का भर सौंपा।  कोरोना संकट के चलते इस साल नागरिक शामिल नहीं हो सके।  

कल शनिवार रात बाबा महाकाल (हर) चांदी की पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर के लिए रवाना हुए।सवारी के निकलते ही महाकाल के जयकारे लग गए। कड़े सुरक्षा पहरे में भगवान की पालकी रात 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंची। सुरक्षा घेरे में पालकी उठाकर चल रहे कहारों के अलावा केवल पुजारी, पुरोहित शामिल रहे। इसके बावजूद कुछ श्रद्धालु इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए पहुंच गए और फुलझड़ियां जलाकर हरि-हर मिलन का आनंद उठाया।

ये है धार्मिक मान्यता -

मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु (हरी )सृष्टि के संचालन का भार भगवान महाकाल (हर ) को सौंप राजा बलि के यहां पाताल लोक चले जाते हैं। वह पाताल लोक चले जाते है और चार महीने तक वहीँ रहते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद भगवान महाकाल कार्तिक चतुर्दशी के दिन भगवान् विष्णु को दोबारा सृष्टि का भार सौंपते है। उज्जैन में वर्षों से इस परंपरा का पालन किया जा रहा है।लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते आतिशबाजी और हिगोट चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते इस परंपरा में आतिशबाजी और हिगोट चलाने पर जिला प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था। महाकाल की सवारी में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई थी।





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